coronavirus outbreak: कोरोना वायरस से भारत में कुल 100 लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि इसकी चपेट में आकर दो लोगों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 31 मामले सामने आये हैं. इसी बीच वायरस से संक्रमित 68 वर्षीय एक महिला की दिल्ली में मौत होने के बाद उसकी अंत्येष्टि को लेकर हुए विवाद के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस का शिकार होने वाले लोगों के शवों की अंत्येष्टि के लिए दिशानिर्देश तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि शव की अंत्येष्टि से कोरोनावायरस संक्रमण फैलने की आशंका नहीं है. लेकिन ऐसे में दिशानिर्देश इस गलत धारणा को खत्म करने के लिए और किसी मृतक से रोग के नहीं फैलने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं.
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पांच और राजस्थान एवं दिल्ली के एक-एक रोगी सहित जिन सात लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी, उन्हें उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है. आपको बता दें कि भारत में संक्रमित लोगों की संख्या रविवार तक 100 पहुंच चुकी है. इससे पहले भारत में कोरोना वायरस से दूसरी मौत शुक्रवार को दर्ज की गयी , जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पश्चिम दिल्ली निवासी उस महिला की मौत की पुष्टि की जिसके अपने बेटे के संपर्क में आने से कोराना वायरस से संक्रमित होने की भी पुष्टि हुई थी. उसके बेटे ने हाल ही में विदेश यात्रा की थी. पहली मौत कर्नाटक में दस मार्च को 76 वर्षीय एक व्यक्ति की हुई थी.
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 100 मामलों की अब तक पुष्टि हुई है, जिनमें दिल्ली और कर्नाटक में हुई दो मौतें भी शामिल हैं. नयी दिल्ली एम्स के फोरेंसिक मेडिसीन विभाग के प्रमुख सुधीर गुप्ता ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते मरने वाले व्यक्ति की किसी भी तरीके से अंत्येष्टि करने का कोई नुकसानदेह प्रभाव नहीं है. ये तरीके इलेक्ट्रिक, गैस से शवदाह करना या दफनाना आदि हो सकते हैं. कोरेना वायरस संक्रमण एक श्वसन रोग है, जो किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र से छोड़ी जाने वाली नमी की बूंदों से दूसरे व्यक्ति में संचारित होता है और मृतक के शव से मुर्दाघर या अंत्येष्टि कर्मी के संक्रमित होने की संभावना नहीं है.
जानकारों की मानें तो इबोला और निपाह जैसे अत्यधिक खतरनाक रोगाणुओं के मामलों में मृतक के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से संक्रमण फैलने की बहुत अधिक गुंजाइश होती है. स्वास्थ्य क्षेत्र में संक्रमण निवारण एवं महामारी नियंत्रण और महामारी का कारण बनने वाले कोरोना श्वसन संक्रमणों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों में मानक एहतियातों के अनुरूप व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के इस्तेमाल की सिफारिश की गयी है ताकि शव को पृथक कक्ष या इलाके से दूसरी जगह ले जाने के दौरान शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से बचा जा सके. मुर्दाघर देखभाल एवं पोस्टमार्टम जांच के बारे में डब्ल्यूएचओ ने श्वसन संक्रमण वाले शव को शवदाह गृह या कब्रिस्तान तक पहुंचाने के लिए पैकेजिंग एवं परिवहन के बारे में कुछ सिफारिशें की हैं. इनमें शव को एक थैले में पूरी तरह से सील बंद रखने को कहा गया है ताकि शव से तरल पदार्थ के किसी तरह के रिसाव को टाला जा सके.