क्या भारत के लिए खतरनाक साबित होंगे डोनाल्ड ट्रंप?
Donald Trump: ट्रंप की नीतियों के कारण भारत के लिए कई मोर्चों पर चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो आर्थिक, कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर प्रभाव डाल सकती हैं.
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर कई चिंताएं और सवाल उठ रहे हैं. ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और उनके द्वारा उठाए गए कुछ शुरुआती कदम भारत के लिए संभावित चुनौतियों का संकेत देते हैं. BRICS देशों को ट्रंप की चेतावनी, नागरिकता कानूनों में बदलाव, और सख्त इमिग्रेशन नीतियां उन मुद्दों में से हैं जो भारत के लिए तनावपूर्ण साबित हो सकते हैं.
अमेरिका फर्स्ट नीति
ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिका की आर्थिक गतिविधियों को देश के भीतर केंद्रित करना है. भारत और अमेरिका के बीच 2022 में व्यापार 191.8 अरब डॉलर का था, जिसमें अमेरिका ने भारत को 73 अरब डॉलर का निर्यात किया और 118.8 अरब डॉलर का आयात किया. इस व्यापारिक असंतुलन को ट्रंप मुद्दा बना सकते हैं, जिससे भारत के विदेशी व्यापार पर असर पड़ सकता है.
टैरिफ और व्यापार बाधाएं
ट्रंप ने पहले ही भारत पर अधिक टैरिफ लगाने की संभावना जताई है, जैसे उन्होंने कनाडा और मेक्सिको पर किया. अगर भारत पर भी टैरिफ बढ़ाया जाता है, तो यह भारतीय निर्यात के लिए प्रतिकूल हो सकता है. उनके पहले कार्यकाल में जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) वापस लेने से भी भारत को आर्थिक नुकसान हुआ था.
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रुपया बनाम डॉलर
ट्रंप की नीतियों के कारण डॉलर की मजबूती से भारतीय रुपये की कमजोरी संभव है, जिससे भारत में आयात महंगा होगा और महंगाई बढ़ेगी. डॉलर आधारित बाजारों में निवेश भी महंगा हो जाएगा, जिससे भारत के निवेशकों को नुकसान होगा.
BRICS पर तनाव
ट्रंप ने BRICS देशों पर सख्त रुख अपनाया है, खासकर उनके डॉलर से हटकर वैकल्पिक करेंसी की दिशा में बढ़ने पर. भारत BRICS का संस्थापक सदस्य है और इस समूह में ट्रंप की धमकियों से भारत के लिए आर्थिक और कूटनीतिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
रूस और ईरान से तेल खरीद
अमेरिका का रूस और ईरान पर लंबे समय से कूटनीतिक तनाव है, लेकिन भारत इन देशों से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदता है. ट्रंप अगर भारत पर इनसे तेल न खरीदने का दबाव डालते हैं, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
H-1B वीजा और इमिग्रेशन
ट्रंप ने H-1B वीजा को सख्त बनाने के संकेत दिए हैं, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने में कठिनाई हो सकती है. H-1B वीजा की न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भी कई भारतीयों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. इसके अलावा, अमेरिकी नागरिकता के नियमों में बदलाव भी भारतीय समुदाय को प्रभावित कर सकते हैं.
शिक्षा और रोजगार
अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए भी संभावित समस्याएं हैं. वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगने से छात्रों के लिए नौकरी के अवसर सीमित हो सकते हैं. ट्रंप की नीतियों के कारण भारत के लिए कई मोर्चों पर चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो आर्थिक, कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर प्रभाव डाल सकती हैं. भारत को इन नीतियों के संभावित प्रभावों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.
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