क्या कोविशील्ड का एक ही डोज कोरोना के खिलाफ होगा कारगर? जानें एक्सपर्ट का क्या है कहना
नयी दिल्ली : भारत में चल रहे सबसे बड़े टीकाकरण अभियान (Vccination in India) में जो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) इस्तेमाल किया जा रहा है, उसके दो डोज की सिफारिश की गयी है. कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) के दो-दो डोज एक आदमी को दिया जा रहा है जिससे कि उनमें ज्यादा समय तक कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी डेवलप हो. वहीं अब वैक्सीन के सिंगल डोज पर भी विशेषज्ञों की राय आनी लगी है. कहा जा रहा है कि कोविशील्ड का एक ही डोज कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी डेवलप करने में कारगर है.
नयी दिल्ली : भारत में चल रहे सबसे बड़े टीकाकरण अभियान (Vccination in India) में जो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) इस्तेमाल किया जा रहा है, उसके दो डोज की सिफारिश की गयी है. कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) के दो-दो डोज एक आदमी को दिया जा रहा है जिससे कि उनमें ज्यादा समय तक कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी डेवलप हो. वहीं अब वैक्सीन के सिंगल डोज पर भी विशेषज्ञों की राय आनी लगी है. कहा जा रहा है कि कोविशील्ड का एक ही डोज कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी डेवलप करने में कारगर है.
वैक्सीन के दो डोज के बीच अंतराल को लेकर भी देश में कई विवाद उठे हैं. सबसे पहले सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड के दो डोज के बीच छह से आठ हफ्ते का अंतराल रखा था. बाद में इसे बढ़ाकर 12 सप्ताह कर दिया गया. इसपर विपक्षी दलों से सवाल उठाया और कहा कि सरकार वैक्सीन की आपूर्ति नहीं कर पा रही है, इसलिए अंतराल बढ़ा रही है. वहीं भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के दो डोज के बीच का अंतराल शुरू से ही चार से छह हफ्ते है.
अब विशेषज्ञों का दावा है कि कोविशील्ड का एक ही डोज ही काफी है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर क्लीनिकल ट्रायल के प्रमुख प्रोफेसर ऐंड्रयू जे पोलार्ड ने कहा कि शुरुआत में इस वैक्सीन को सिंगल डोज के तौर पर ही देखा गया था. इसे जल्द से जल्द लोगों को एक डोज लगाकर तेजी से जान बचाने की योजना तैयार की गयी थी.
बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वैक्सीन को ही भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने डेवपल किया है और भारत में यह टीका कोविशील्ड के नाम से लगाया जा रहा है. प्रो पोलार्ड ने कहा कि बाद में देखा गया कि जिन लोगों को वैक्सीन की दो डोज दी गयी है उनमें सिंगल डोज लेने वालों की तुलना में ज्यादा इम्यूनिटी तैयार हुई है. इससे निष्कर्ष निकाला गया कि एक डोज कारगर जरूर है, लेकिन डबल डोज ज्यादा असरदार है.
उन्होंने बताया कि mRNA पद्धति पर तैयार की गयी वैक्सीन की दो डोज ब्रिटेन में तीन महीनें के अंतराल पर लगायी जा रही है. अब भारत में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया है. मैक्सिको से आयी एक ताजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैक्सीन की एक डोज लेने के छह महीने बाद इम्यूनिटी तेजी से घटने लगती है, इसलिए इस दौरान दूसरे डोज लेने की सिफारिश की गयी है.
पोलार्ड ने कहा कि हालांकि कोविशील्ड के सिंगल डोज लेने वाले ज्यादातर लोगों को भी संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आयी है. लेकिन हम इसके दो डोज की ही सिफारिश करते हैं. वैक्सीन की कमी के कारण अगर सरकारें पहले सिंगल डोज पर ध्यान केंद्रित करती है तो यह भी गलत नहीं है. अगर कोई यह सोचे कि दोनों डोज नहीं मिल पाने की स्थिति में पहला डोज भी लेना बेकार है तो यह सरासर गलत सोच है.
Posted By: Amlesh Nandan.