कोरोना संक्रमण से हुई मौत के मामले में चार लाख रुयये अनुग्रह राशि देने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी सवाल किया है कि जिनकी मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो रही है उनके मृत्यू प्रमाण पत्र में कोई और कारण क्यों लिखा आ रहा है. अगर सरकार कोरोना संक्रमण से मरने वालों को अनुग्रह राशि देती है तो वो कैसे इस योनजा का लाभ लोगों को देगी.
कोर्ट अब इस पूरे मामले की सुनवाई 11 मई को करेगा. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायार की गयी थी जिसमें मांग की गयी थी कोरोना संक्रमण से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये की मदद की जाये.
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इस याचिका में साल 2015 की एक योजना का भी जिक्र किया गया है जिसमें यह लिखा गया कि अगर किसी नोटिफाइड बीमारी या आपदा से किसी की मौत होती है, तो उसके परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.यह स्कीम पिछले साल खत्म हो चुकी है.
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने यह मांग की है कि केंद्र सरकार इस स्कीम को दोबारा लेकर आये. इससे परिजनों को आर्थिक सहायता मिलती है. इस स्कीम को कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाये. याचिका में बताया गया है कि अगर इस योजना को आगे बढ़ाया जाता तो लोगों को इसका लाभ मिलता.
याचिका में उन परिवार वालों का हवाला दिया गया है जिनमें एक ही व्यक्ति कमाने वाला था और जिसकी कोरोना संक्रमण से मौत हो गयी. ऐसे में उनके परिजनों को आर्थिक मदद की आवश्यकता है सरकार इस योजना को लागू करके परिजनों तक मदद पहुंचा सकती है.
कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही यह भी सवाल खड़ा किया है कि अगर आप इस योजना को आगे भी बढ़ाते हैं तो ये कैसे साबित होगा कि मरने वाले की मौत करोना से हुई है या कोई और वजह रही है. जज जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि उन्होंने खुद देखा है कि डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कुछ और होती है.
अगर भविष्य में सरकार कोई स्कीम लेकर आती है जिसमें कोरोना संक्रमण का शिकार हुए परिजनों को कोई मदद पहुंचाना चाहती है तो इसकी पहचान कैसे करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिनों में यह जवाब मांगा है कि क्या डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कोरोना लिखा जा सकता है. क्या ऐसे लोगों के लिए सरकार 4 लाख रुपए के मुआवजा दे सकती है?