संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया. सदन के समाप्त होने के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने सत्र की शुरुआत भी अलोकतांत्रिक तरीके से की और समापन भी उसी तरह से किया गया.
आज कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने सत्र के पहले दिन ही विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित करवा दिया ताकि राज्यसभा में उसके पास बहुमत हो जाये और वे अपनी मनमानी कर पायें.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि 29 नंवबर की शाम से विपक्ष का प्रयास रहा कि निलंबन का मुद्दा हल हो जाए, क्योंकि यह निलंबन पूरी तरह असंवैधानिक और नियमों के विरुद्ध था. खड़गे जी ने सभापति को पत्र मिला. मैं सभापति, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी से मिला. उन्होंने कहा, सरकार का पहले दिन से यही रुख रहा है कि सभी 12 सांसद एक-एक करके माफी मांगे. अफसोस की बात है कि हमारी बात नहीं मांगी गई है.
जयराम रमेश के मुताबिक, पिछले सत्र की तरह इस सत्र में 15 विपक्षी पार्टियां एकजुट थीं. निलंबन रद्द करने और अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग पर एक पार्टियां एकजुट थीं. उन्होंने कहा, पहले तीन काले कृषि कानून बिना बहस के पारित किए गए थे. इस सत्र के पहले दिन बिना चर्चा के ये काले कानून वापस लिए गए. हमने कानूनों को वापस लिए जाने का स्वागत किया, लेकिन हमारी मांग की थी कि इस पर दो-तीन घंटे बहस हो, जो नहीं हुआ.
उन्होंने आरोप लगाया कि इन काले कानूनों को वापस लेने के लिए जो अलोकतांत्रिक तरीका अपनाया गया उसी तरह अलोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक पारित किया जिसके तहत आधार को मतदाता सूची से जोड़ना है. शीतकालीन सत्र का समापन भी अलोकतांत्रिक ढंग से किया गया.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, हमने मांग की थी कि नैतिकता के आधार पर अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाना चाहिए था. हमने इस विषय पर चर्चा की मांग की थी. लेकिन मांग नहीं मानी गई है.