Women Empowerment: मुंबई की कलाकार ने शुरू किया ‘मिसाल कश्मीर’, कढ़ाई और सिलाई सीख रही महिलाएं
Women Empowerment: मदरसों में बच्चों के हाथों में कूची और रंग पकड़ाकर उनकी रचनात्मक ऊर्जा को आकार देने के साथ ही महिलाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिहाज से मुंबई में रहने वाली रूबल नागी ने ‘मिसाल कश्मीर' नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया है.
Women Empowerment: मदरसों में बच्चों के हाथों में कूची और रंग पकड़ाकर उनकी रचनात्मक ऊर्जा को आकार देने के साथ ही महिलाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिहाज से मुंबई में रहने वाली रूबल नागी ने ‘मिसाल कश्मीर’ नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया है. जम्मू में सेना से जुड़े एक परिवार में जन्मी और स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट लंदन से स्नातक नागी का मानना है कि रंग खासतौर पर बच्चों के लिए चमत्कार कर सकते हैं.
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की दे रही है सलाह
रूबल नागी ने कहा कि हमें अपनी कूची से अंधेरे को हटाकर नया सवेरा और मुस्कराहट लानी चाहिए. वह अपनी टीम के साथ वातलाब, संगरामा, हंडवारा, लांगेट जैसे सुदूर इलाकों और पुलवामा के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं और बच्चों को कलाकारी के गुर सिखाने के साथ ही महिलाओं को खुद के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की सलाह दे रही है. नागी अब तक 800 भित्तिचित्र (म्यूराल) बना चुकी हैं और उनकी 150 से अधिक प्रदर्शनी लग चुकी हैं.
युवाओं पर भी ध्यान केंद्रित
रूबल नागी कश्मीर के नौजवानों पर ध्यान केंद्रित कर काम कर रही हैं और मानती हैं कि युवाओं को विकास तथा सकारात्मकता की सोच के साथ अपना जीवन जीना होगा और जब उन्हें महसूस हो कि नेता लोग नकारात्मक रास्ते पर ले जा रहे हैं तो उनकी बात का अनुसरण बंद करना होगा. उन्होंने कहा कि डर का सामना कर और संदेह की स्थिति से उबरकर प्रसन्नता की ओर बढ़ा जाता है. प्रगति बहुत मेहनत से होती है और तभी हो सकती है जब उद्देश्य पवित्र हो.
कढ़ाई और सिलाई सीखने केंद्र पर आ रही हैं महिलाएं
उत्तर कश्मीर के वातलाब में ‘मिसाल कश्मीर’ का केंद्र चलाने वाली निगहत रमजान ने कहा कि जिले भर की महिलाएं कढ़ाई और सिलाई सीखने केंद्र पर आ रही हैं. उन्होंने कहा कि यह केवल वातलाब तक सीमित नहीं है. दूरदराज के इलाकों से लड़कियां आकर सिलाई का काम सीख रही हैं. कई बार हम उन्हें काम देते हैं और कई बार उन्हें बाहर भी काम मिल जाता है. महीने के आखिर में उनके भीतर आर्थिक आजादी की भावना आती है जो जरूरी है.
मार्च, 2021 से शुरू की अपनी यात्रा
पिछले साल मार्च में अपनी यात्रा शुरू करने वाली नागी ने कहा कि न तो मुझे अचानक से चमत्कार होने की उम्मीद रहती है और ना ही मैं रातोंरात बदलाव में भरोसा करती हूं. यह धीरे-धीरे आता है. मुझे कश्मीर में अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं.
मिसाल कश्मीर गांवों में बदलाव लाने की एक परियोजना
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और उत्तर कश्मीर के हंडवारा में मदरसों के अपने दौरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह अचानक से हुआ. उन्होंने बताया कि मैं लड़कियों के ऐसे एक मदरसे में गयी तो मैं उन्हें रंगों के साथ खुश देखकर अभिभूत हो गयी. मिसाल कश्मीर गांवों में बदलाव लाने की एक परियोजना है, जहां कलाकार स्थानीय रचनात्मक ऊर्जा के साथ समाज में बदलाव के लिए काम करते हैं. यह परियोजना 2018 में शुरू हुई ‘मिसाल इंडिया’ पहल का हिस्सा है.