संसद के बजट सत्र के पहले दिन आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तीकरण मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए सरकार ने सफलतापूर्वक उज्ज्वला योजना को चलाया है और यह योजना महिला सशक्तीकरण का आदर्श उदाहरण बन चुका है.
इसके अलावा मुद्रा योजना के माध्यम से भी महिलाओं की उद्यमिता और कौशल को बढ़ावा मिला है और कई महिलाएं इसके जरिये अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी कर रहीं हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के भी सकारात्मक परिणाम हमारे सामने आये हैं.
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि बेटे और बेटी को समान अधिकार देने के लिए मेरी सरकार ने महिलाओं की शादी की उम्र को लड़कों के बराबर यानी 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए बिल लाया है.
वहीं लैंगिक समानता के लिए सभी 33 सैनिक स्कूलों में बच्चियों के दाखिले की शुरुआत भी हो चुकी है. इसके अलावा सरकार ने महिलाओं को एडीए में भी प्रवेश की इजाजत दे दी है. महिला कैडेट का पहला बैच संभवत: जून 2022 में सामने आयेगा.
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राष्ट्रपति ने कहा, सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोषित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की शुरुआत की है. मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है. उन्होंने कहा, वर्ष 2014 से पूर्व अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गई थीं, जबकि मेरी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं.
इससे मुस्लिम बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की दर में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है तथा उनके प्रवेश में वृद्धि देखी गई है. राष्ट्रपति ने कहा देश की बेटियों में सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जेंडर इन्कलून फंड (लैंगिक समावेशी कोष) का भी प्रावधान किया गया है.