क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं लागू हो पाएगा महिला कोटा बिल?

बिल में फिलहाल 15 साल के लिए कोटे का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा. हालांकि मौजूदा नियमों के अनुसार, महिला आरक्षण बिल देश में Delimitation Exercise के पूरा होने के बाद ही प्रभावी हो पाएगा.

By amit demo demo | September 19, 2023 5:47 PM
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Nari Shakti Vandan Adhiniyam पहला बिल है, जो संसद के नए भवन Central Vista में मंगलवार को पेश हुआ. कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित बिल है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी.

बिल में फिलहाल 15 साल के लिए कोटे का प्रावधान

बिल में फिलहाल 15 साल के लिए कोटे का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा. हालांकि मौजूदा नियमों के अनुसार, महिला आरक्षण बिल देश में Delimitation Exercise के पूरा होने के बाद ही प्रभावी हो पाएगा. जानकारों की मानें तो 2024 के लोकसभा चुनाव में इस बिल को लागू कर पाना मुमकिन नहीं लग रहा. क्योंकि चुनाव आयोग के Delimitation नियम के मुताबिक अगला परिसीमन 2026 में जनगणना के बाद ही हो पाएगा. इसके मायने हैं कि बिल 2027 में ही कानून का रूप ले सकेगा.

महिला आरक्षण बिल 2029 में हो पाएगा प्रभावी

कुछ मीडिया रिपोट्र्स में कहा गया है कि इस हिसाब से महिला आरक्षण बिल 2029 के लोकसभा चुनाव में ही प्रभावी हो पाएगा. इस बिल के लागू होने से लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. कानून मंत्री ने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीट हर परिसीमन के बाद बदलेगी. बता दें कि इस बिल को पहली बार 2010 में राज्यसभा में पास किया गया था. लेकिन इसे लोकसभा में किन्ही कारणों से पेश नहीं किया जा सका और यह पारित नहीं हो पाया.

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2026 में होगी जनगणना

इस साल 23 मार्च को राज्यसभा में पूर्व कानून मंत्री किरन रिजीजू ने चुनाव आयोग के हवाले से कहा था कि परिसीमन कार्यक्रम 2026 में जनगणना के बाद ही हो पाएगा. उनके मुताबिक संसदीय और विधानसभा सीटों का परिसीमन Delimitation act 2002 के मुताबिक होगा.

दोबारा परिसीमन की दरख्वास्त मिली

उन्होंने चुनाव आयोग के हवाले से बताया था कि परिसीमन आयोग को राज्य चुनाव आयोग, केंद्रीय चुनाव आयोग और संबंधित सदस्यों से परिसीमन दोबारा करने की दरख्वास्त मिली है. बता दें कि राज्य सरकारों के पास निर्वाचन क्षेत्र की सीमा को दोबारा तय करने का अधिकार नहीं है. रिजीजू के मुताबिक एससी-एसटी सीटें संविधान के मुताबिक रिजर्व होंगी.

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परिसीमन आयोग कर चुका है बैठक

रिजीजू के मुताबिक Delimitation Act 2002 के प्रावधानों के तहत परिसीमन आयोग ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के राजनीतिक दलों के साथ पहले बैठक की थी और उनके विचारों के आधार पर ड्राफ्ट तय किया था. इसके बाद आयाग ने सेंट्रल और स्टेट गजट में अपने अंतिम आदेश को शामिल किया. इसकी जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर Delimitation के अंतर्गत दी गई है.

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