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Women’s Reservation Bill: विपक्ष ने ‘चुनावी जुमला’ बताया, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की मांग की

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. वर्ष 2010 में राज्य सभा में संप्रग सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाया था. जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी सामान मौका मिलना चाहिए.

विपक्ष के कई दलों ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को चुनावी जुमला करार दिया और कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) की महिलाओं को भी भागीदारी देकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश

केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया.

महिला आरक्षण विधेयक पर क्या बोले खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. वर्ष 2010 में राज्य सभा में कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाया था. राजनीति में जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इस विधयेक के जरिये सामान मौका मिलना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया, आज मोदी सरकार जो विधेयक लाई है, उसे गौर से देखने की जरुरत है. विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा. इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाजे बंद कर दिये हैं.

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महिला आरक्षण बिल पर क्या बोले जयराम रमेश

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है, जो जनगणना कराने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा. उनके मुताबिक, विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?

कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल हो ‘ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट’ बताया

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है. यह कुछ और नहीं, बल्कि ‘ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट’ है.

नीतीश कुमार ने विधेयक का किया स्वागत

बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने विधेयक का स्वागत किया और कहा कि यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, विधेयक में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी तथा उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा तथा इसके बाद ही इस विधेयक के प्रावधान लागू होंगे. इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए. जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी, परन्तु यह अभी तक नहीं हो सकी है. जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए, तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा.

महिला आरक्षण पर मनोज झा क्या बोले?

राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने कहा, यदि महिला आरक्षण विधेयक के पीछे का विचार महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना रहता तो यह एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं तक पहुंच बनाए बिना नहीं हो सकता था. उन्होंने दावा किया कि कई मायनों में यह विश्वसनीयता पूर्णतः खो चुकी एक सरकार का धोखा है.

महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक, आप ने लगाया आरोप

आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है. उन्होंने कहा, हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए तथा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.

महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए : अखिलेश

महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.

मायावती ने महिला आरक्षण बिल का किया समर्थन

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सरकार को आबादी को ध्‍यान में रखकर महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार करना चाहिए.

बीआरएस ने भी महिला आरक्षण बिल का किया स्वागत

तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी संबंधी खबरों का स्वागत किया, लेकिन विधेयक की विषय वस्तु को लेकर आशंका जताई. कविता ने कुछ महीने पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था.

महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने बिल का किया स्वागत

‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने विधेयक का स्वागत किया और इस फैसले को एक बड़ा कदम करार दिया. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ नहीं है और अगर इसे लागू किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है.

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