-
देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले उस 128वें संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को संसद की मंजूरी मिल गई जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. राज्यसभा ने ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ को करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अपनी स्वीकृति दी. विधेयक के पक्ष में सभी मौजूद 214 सदस्यों ने मतदान किया जबकि इसके विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा. लोकसभा में यह विधेयक बुधवार को ही पारित हो चुका है. हालांकि, लोकसभा में मौजूद 456 सांसदों में से दो ने इसके खिलाफ मतदान किया था.
-
दलगत भावना से ऊपर उठकर सदस्यों ने उच्च सदन में इस विधेयक का समर्थन किया जबकि कई सदस्यों ने इसे लागू करने की समयसीमा को लेकर सवाल उठाए थे. केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि किसी को भी इसके क्रियान्वयन पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए, क्योंकि ‘मोदी हैं तो मुमकिन है’. एक तिहाई कोटे के भीतर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं को आरक्षण देने सहित कई संशोधनों को खारिज करने के बाद यह विधेयक पारित किया गया.
-
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों पर लागू होगा. मेघवाल ने कांग्रेस और अन्य दलों के ‘ओबीसी के प्रति ‘अचानक उभरे प्यार’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी मांग उनकी राजनीतिक मजबूरी को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की पिछड़े वर्गों पर आयोग बनाने की इच्छा पूरी नहीं की. देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में महिला सांसदों की संख्या केवल 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में यह आंकड़ा महज 10 प्रतिशत ही है.
-
उच्च सदन में बहस का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि जनगणना का काम आसान नहीं है क्योंकि इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मानकों से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाते हैं. उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की आशंका जताने की जरूरत है. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन और राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा. विधेयक का समर्थन करते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रस्तावित कानून को लागू करने की समयसीमा के बारे में जानकारी मांगी और ओबीसी के लिए आरक्षण की भी मांग की.
-
उन्होंने सरकार से अगले सत्र में इस आशय का संशोधन लाने के लिए कहा और कांग्रेस पार्टी के समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को विधेयक को तुरंत लागू करना चाहिए था जैसा कि उसने नोटबंदी के मामले में कुछ घंटों के भीतर किया था और तीन कृषि कानून पारित किए थे. खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन कर रही है, लेकिन यह कानून प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियों के वादे और ‘हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा करने’ की तरह एक और ‘जुमला’ नहीं बनना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि महिला आरक्षण संबंधी यह विधेयक कानून बनने पर ‘नारीशक्ति वंदन अधिनियम’ के नाम से जाना जाएगा.
-
विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा. चर्चा के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने इस विधेयक को देश की नारी शक्ति को नयी ऊर्जा देने वाला करार देते हुए कहा कि इससे महिलाएं राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए नेतृत्व के साथ आगे आएंगी. उन्होंने इस विधेयक का समर्थन करने के लिए सभी सदस्यों का ‘हृदय से अभिनंदन और आभार व्यक्त’ किया. उन्होंने कहा कि यह जो भावना पैदा हुई है, वह देश के जन जन में एक आत्मविश्वास पैदा करेगी. उन्होंने कहा कि सभी सांसदों एवं सभी दलों ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभायी है.
-
वर्तमान में भारत के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में महिला सदस्यों की संख्या केवल 15 प्रतिशत है जबकि विधानसभाओं में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधेयक का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ”यह भावना जो पैदा हुई है, वह देश के लोगों में एक नया आत्मविश्वास पैदा करेगी और सभी सांसदों और राजनीतिक दलों ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’’ उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “नारी शक्ति को सशक्त बनाने की दिशा में राष्ट्र की यात्रा में एक मील का पत्थर! सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों की भागीदारी के साथ व्यापक चर्चा के बाद, राज्यसभा ने सर्वसम्मति से नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित किया.’’
-
बाद में प्रधानमंत्री ने महिला सांसदों के साथ एक तस्वीर खिंचवाई, जिनमें से कई ने विधेयक पारित होने का जश्न मनाने के लिए मिठाइयां बांटीं. कई महिला सदस्यों ने विधेयक को पारित कराने में निर्णायक नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की. सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने इस विधेयक के संसद से पारित होने को देश की लोकतांत्रिक यात्रा का ‘एक ऐतिहासिक क्षण’ बताया और कहा कि यह भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत है. मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई.’’
-
उन्होंने कहा, ‘‘संसद में नारी शक्ति वंदन विधेयक के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत कर रहे हैं. यह केवल एक विधेयक नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं के लिए एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे राष्ट्र को बनाया है. भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जैसा कि हम आज जश्न मना रहे हैं, हमें अपने राष्ट्र की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आती है. यह ऐतिहासिक कदम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज को और भी प्रभावी ढंग से सुना जाए.’’
Advertisement
Explainer: महिला आरक्षण बिल संसद से पास, राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी, जानें कब होगा लागू?
देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले उस 128वें संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को संसद की मंजूरी मिल गई जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. राज्यसभा ने करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अपनी स्वीकृति दी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement