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उचित शिक्षा के बाद हो लड़कियों की शादी, विवाह की उम्र थोपने से वांछित परिणाम नहीं: RSS महिला शाखा

Women Wing of RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महिला शाखा राष्ट्रीय सेविका समिति (Rashtriya Sevika Samiti) का कहना है कि लड़कियों को उचित शिक्षा हासिल करने के बाद ही शादी करनी चाहिए. हालांकि, उनका सुझाव है कि विवाह की उम्र (Marriage Age for Girls) थोपने से वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं.

Women Wing of RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महिला शाखा राष्ट्रीय सेविका समिति (Rashtriya Sevika Samiti) का कहना है कि लड़कियों को उचित शिक्षा हासिल करने के बाद ही शादी करनी चाहिए. हालांकि, उनका सुझाव है कि विवाह की उम्र (Marriage Age for Girls) थोपने से वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं.

शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के प्रस्ताव सहित कई मुद्दों पर होगी चर्चा

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरएसएस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था की वार्षिक बैठक से पहले इसकी महिला शाखा राष्ट्रीय सेविका समिति ने रविवार को कहा कि लड़कियों को उचित शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही शादी करनी चाहिए, लेकिन सुझाव दिया कि शादी की उम्र थोपने से वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 11 मार्च से शुरू होगी. इस दौरान महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के प्रस्ताव सहित कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है.


बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी!

इससे पहले बीते वर्ष दिसंबर महीने में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पुरुषों के बराबर महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव पेश किया था. हालांकि, बाद में विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए लोकसभा द्वारा एक संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया. पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने प्रस्तावित कानून को समाज में लड़कियों और लड़कों को समान अवसर प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पेश किया है.

बाल विवाह का विरोध करती है राष्ट्रीय सेविका समिति

राष्ट्रीय सेविका समिति बाल विवाह का विरोध करती है. इसके प्रचार प्रमुख सुनीला सोहवानी ने कहा कि लड़कियों को उचित परवरिश और शिक्षा के बाद शादी करनी चाहिए, ताकि वे एक सक्षम व्यक्ति बन सकें. शादी की उम्र बढ़ाने के केंद्र सरकार के विधेयक के बारे में पूछे जाने पर सोहवानी ने कहा कि संगठन ने समाज से फीडबैक लिया है और इसके पक्ष और विरोध दोनों में अलग-अलग राय है.

ऐसे मुद्दों को जन जागरूकता और व्यापक चर्चा के साथ निपटाया जाना बेहतर

सोहवानी ने पीटीआई को बताया कि हमारे कार्यकर्ताओं और समाज से हमें मिले फीडबैक के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के संबंध में दोनों तरह के विचार थे. यह देखा गया है कि महिलाओं की शादी की उम्र जैसे सामाजिक मुद्दों पर समाज पर कुछ थोपने से वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं. इस तरह के मुद्दों को जन जागरूकता और व्यापक चर्चा के साथ निपटाया जाना बेहतर है. वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दृष्टिकोण के सवाल पर सोहवानी ने इसे उचित करार दिया और कहा कि सरकार इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा कर रही है. सोहवानी ने कहा कि समिति ने इस मुद्दे की जांच कर रही संसदीय स्थायी समिति के साथ भी अपने विचार साझा किए हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता में शिक्षा, खेल और महिला एवं बाल विकास पर संसदीय स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर जनता से सुझाव मांगे हैं.

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