8-9 घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए, जानिए अदार पूनावाला ने ऐसा क्यों कहा?
Work-Life Balance: सुब्रहमण्यम ने अपने बयान में अफसोस जताते हुए कहा था कि वे अपने कर्मचारियों से रविवार को काम नहीं करा पाते.
Work-Life Balance: भारत में कार्य के घंटों और वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस तेज हो गई है. इस मुद्दे पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की उत्पादकता प्रतिदिन 8-9 घंटे से अधिक नहीं हो सकती. पूनावाला ने यह टिप्पणी लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रहमण्यम के उस बयान के जवाब में की, जिसमें सुब्रहमण्यम ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात की थी.
सुब्रहमण्यम ने अपने बयान में अफसोस जताते हुए कहा था कि वे अपने कर्मचारियों से रविवार को काम नहीं करा पाते. उन्होंने यह भी कहा था, “कर्मचारी घर पर बैठकर क्या करेंगे? आप अपनी पत्नी को कितने समय तक देख सकते हैं? ऑफिस जाएं और काम करें.”
पूनावाला ने वर्क-लाइफ बैलेंस को बताया अहम
पूनावाला ने “बिजनेस टुडे” से बात करते हुए स्पष्ट किया कि हर दिन लंबी अवधि तक काम करना अव्यावहारिक है. उन्होंने कहा, “मानव उत्पादकता 8-9 घंटे से अधिक नहीं हो सकती. कभी-कभी आपको तय घंटों से अधिक काम करना पड़ता है, लेकिन इसे हर दिन लागू नहीं किया जा सकता. सप्ताह के सातों दिन ऑफिस में समय बिताना तर्कसंगत नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाना न केवल जरूरी है, बल्कि यह बेहतर कार्यक्षमता के लिए आवश्यक है.
सुब्रहमण्यम और नारायण मूर्ति का दृष्टिकोण
इस मुद्दे पर इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने भारत के कार्यबल से अपील की थी कि देश की वैश्विक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सप्ताह में 70 घंटे काम करें. मूर्ति और सुब्रहमण्यम जैसे नेताओं की इन टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया, क्योंकि कई लोग इसे असंवेदनशील मान रहे हैं.
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संतुलन का महत्व
इसके विपरीत, अदार पूनावाला ने वर्क-लाइफ बैलेंस की वकालत की. उन्होंने कहा, “कड़ी मेहनत की जरूरत से कोई इनकार नहीं करता, लेकिन काम और सामाजिक जीवन में संतुलन होना भी उतना ही आवश्यक है. संतुलन से ही व्यक्ति ऊर्जा के साथ काम पर लौट सकता है और अधिक उत्पादक हो सकता है.” उन्होंने यह भी कहा कि ऑफिस के काम के अलावा सरकारी अधिकारियों और अन्य नेटवर्क के साथ संबंध बनाना भी महत्वपूर्ण है.
करियर के चरणों पर निर्भरता
पूनावाला ने इस बात को भी माना कि व्यक्ति के कार्य के घंटे उसके करियर के चरण और पेशे से जुड़े होते हैं. उन्होंने कहा, “अगर आप एक उद्यमी हैं और व्यवसाय स्थापित कर रहे हैं, तो आपको अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास करना चाहिए. हालांकि, यह प्रयास भी स्मार्ट और रणनीतिक होना चाहिए.”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सुब्रहमण्यम और मूर्ति का उद्देश्य कर्मचारियों को साल के 365 दिन काम करने के लिए कहना नहीं था. उनका कहना केवल यह था कि कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है. भारत में कार्य घंटों को लेकर चल रही इस बहस ने कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच संतुलन और उत्पादकता के महत्व को सामने रखा है. अदार पूनावाला जैसे नेताओं के विचार इस बात पर जोर देते हैं कि लंबी अवधि तक काम करने से ज्यादा, एक संतुलित जीवन जीने से कर्मचारी बेहतर परिणाम दे सकते हैं.
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