नयी दिल्ली : कोविड-19 के संक्रमण काल के दौरान दिव्यांग जनों को आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने की कवायद देश के विभिन्न राज्यों में जारी रही. पिछले साल भर में दिव्यांग जनों की मदद के लिए कंट्रोल रूम, मोबाइल ऐप, खेल में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्टेडियम, मनोरंजन के लिए पार्क और खिलौने को लेकर काम किया गया. वहीं, पढ़ाई में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सीटें आरक्षित की गयीं, तो आत्मनिर्भर बनने के लिए कौशल प्रशिक्षण भी खोला गया.
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में देश में लगाये गये लॉकडाउन में दिव्यांगजनों की सहायता के लिए देश का पहला कंट्रोल रूम वाराणसी में खोला गया. कंट्रोल रूम के जरिये दिव्यांगजनों के घर पर तैयार भोजन और खाद्यान्न पहुंचाना सुनिश्चित किया गया. साथ ही सुविधा अन्य दिव्यांगों तक पहुंचाने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मार्गदर्शन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने दिव्यांगों को कानूनी अधिकारों की जानकारी के लिए सद्भावना एप लॉन्च किया. इस ऐप के जरिये दिव्यांगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. देश में यह अपनी तरह का पहला एप है. साथ ही यू-ट्यूब पर पहला एपिसोड अपलोड कर कानूनी ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है.
मध्य प्रदेश सरकार ने सितंबर माह में ही ग्वालियर में पहले दिव्यांग स्टेडियम के निर्माण की मंजूरी दे दी है. करीब 22 हेक्टेयर भूमि इसके लिए उपलब्ध करायी जा रही है. इस केंद्र में आउटडोर एथलेटिक्स स्टेडियम, इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, पार्किंग सुविधा, स्विमिंग पूल, कवर पूल और आउटडोर पूल, चिकित्सा सुविधा, खेल विज्ञान केंद्र, छात्रावास की सुविधा, लॉकर्स, भोजन, मनोरंजक सुविधाएं और प्रशासनिक ब्लॉक सहित सहायता सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
उत्तर प्रदेश का पहला दिव्यांग पार्क नोएडा में बनाया जायेगा. दिव्यांगों की जरूरतों को महसूस करते हुए उनकी सुविधा को देखकर यह पार्क बनाया जायेगा. इस पार्क में दृष्टिहीन और अस्थिबाधित बिना बाधा घूम सकेंगे. दिव्यांगों के चलने में मदद के लिए टेक्सटाइल टाइल्स लगायी जायेगी. वहीं, नेत्रबाधितों के लिए पाइप पर ब्रेल लिपि उकेरी गयी है, जो उन्हें रास्ता दिखायेगी.
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप टचविजन ने दिव्यांग बच्चों के खालीपन को दूर करने के लिए कुछ खिलौने तैयार किये हैं. इन खिलौनों से ओटीसिटिक, बौद्धिक रूप से विकलांग, दृष्टिबाधित, बोलने-सुनने में असमर्थ बच्चे भी सामान्य बच्चों की भांति खेल सकते हैं. बच्चों के खेलने के उपकरणों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत जहां 4000 रुपये से शुरू होती है, वहीं, यहां बने दो खिलौने ‘टिक टैक टो’ और ‘रूबिक क्यूब’ 250 और 350-500 रुपये तक में उपलब्ध है.
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एमफिल और पीएचडी के हर विषय में दिव्यांग छात्रों के लिए एक-एक अतिरिक्त सीट आरक्षित की गयी है. इस आरक्षण का असर दूसरे आरक्षित वर्ग की सीटों पर नहीं पड़ेगा. इस तरह का नियम लागू करनेवाला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय हो गया है. मालूम हो कि दिव्यांग श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए दाखिले में पांच फीसदी का कोटा निर्धारित है.
भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) प्रबंधन के सहयोग से दृष्टिहीन और श्रवण बाधित युवकों के लिए छत्तीसगढ़ का पहला कौशल प्रशिक्षण केंद्र कोरबा में शुरू किया गया. इस केंद्र में दिव्यांग युवा ब्यूटीशियन, हास्पिटैलिटी, कंप्यूटर और सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वावलंबी बन सकेंगे.