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खाने की बर्बादी पर टेंशन में पीएम मोदी, हम भारतीय 40 प्रतिशत अनाज कर देते हैं बेकार, एक रिपोर्ट

पूरी दुनिया आज वर्ल्ड फूड डे (World food day) मना रही है, इस मौके पर एक चौंकानेवाली रिपोर्ट सामने आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जितना अन्न पैदा होता है उसका 40 फीसदी प्रत्येक वर्ष बर्बाद हो जाता है. पर्याप्त खाद् उत्पादन के बावजूद यूएन (UN) के मुताबिक 190 मिलियन भारतीय अभी भी कुपोषित है. साथ ही बताया गया कि भारत में हर साल 92,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न बर्बाद होता है.

पूरी दुनिया आज वर्ल्ड फूड डे मना रही है, इस मौके पर एक चौंकानेवाली रिपोर्ट सामने आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जितना अन्न पैदा होता है उसका 40 फीसदी प्रत्येक वर्ष बर्बाद हो जाता है. पर्याप्त खाद् उत्पादन के बावजूद यूएन के मुताबिक 190 मिलियन भारतीय अभी भी कुपोषित है. साथ ही बताया गया कि भारत में हर साल 92,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न बर्बाद होता है. भारत में भोजन की बर्बादी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रही है.. इसलिए अब एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में संशोधन किया गया है इससे स्थितिया बदलेगी. गांवों में आधारभूत संरचना बनाने के लिए सरकार के साथ-साथ दूसरों को भी महत्पूर्ण भूमिका रहेगी. इसमें एफपीओ की की भागीदारी अहम रहेगी. सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये का इंफ्रस्ट्रक्चर फंड तैयार किया है इससे एफपीओ गांवों में सप्लाई चेन और वैल्यु एडिशन कैपेसिटी तैयार कर रहे हैं.

चिंतन संस्था द्वारा दिल्ली में किये गये शोध के मुताबिक प्रत्येक सफाई केंद्र से हर रोज औसतन 18.7 किलोग्राम खाद्यान्न बर्बाद होता है. इसके मुताबिक दिल्ली के 400 सफाई केंद्रों से हर रोज 7.5 टन अनाज बर्बाद होता है. इसमें से लगभग 84.7 फीसदी खाना कूड़ेदान में डाल दिया जाता है. बाकी या तो गरीबों को दे दिया जाता है या जानवर खा जाते हैं. सफाई आउटलेट से बर्बाद होने वाले भोजन को अगर गरीबों को खिलाया जाये तो इससे प्रतिदिन 2000 लोगों को पेट भर सकता है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food And Agriculture Organization) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को 75 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की भारत के हमारे अन्नदाता, किसान , कृषि वैज्ञानिक, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का एक मजबूत आधार है. यह अपने परिश्रम से भारत का अन्न भंडार भर रखा है वहीं दूर सदूर गरीबों तक राशन पहुंचाने में काफी मदद की है.

इनके प्रयास से भारत कोरोना काल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूती से लड़ाई कर रहा है. फुड एंड एंग्रीकल्चर ने 75 वर्षों में भारत सहित पूरी दुनिया में कृषि उपज बढ़ाने, भूखमरी मिटाने और पोषण बढ़ाने में बहुच बड़ी भूमिका निभाई है. एफएओ के वर्ल्ड फुड कार्यक्रम को इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार मिला है. भारत को खुशी है कि इसमें भी भारत की साझेदारी और भारत का जुड़ाव बहुत ही ऐतिहासिक रहा है.

मोदी ने कहा कि इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं. FAO के World Food Program को इस वर्ष का नोबल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है. और भारत को खुशी है कि इसमें भी हमारी साझेदारी और हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है. 2014 के बाद देश में नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए.

हम एकीकृत दृष्टिकोण लेकर आगे बढ़े, होलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े. तमाम Silos को समाप्त करके हमने एक Multi-Dimensional रणनीति पर काम शुरू किया. कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है. अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं. मैं आज FAO को विशेष धन्यवाद देता हूं कि उसने वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को पूरा समर्थन दिया है.

Posted By: Pawan Singh

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