अगले 30 सालों में दुनिया का हर चौथा व्यक्ति सुनने में परेशानियों का सामना करेगा. डब्ल्यूएचओ की वर्ल्ड रिपोर्ट ऑन हियरिंग में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि 2050 तक दुनिया भर में लगभग 250 करोड़ लोग या दूसरे शब्दों में कहें तो हर चार में से एक व्यक्ति को कुछ हद तक सुनाई न देने की समस्या होगी. इनमें से कम-से-कम 70 करोड़ लोग ऐसे होंगे जिन्हें सुनाई न देने और कानों की समस्याओं को लेकर अस्पतालों में जाना पड़ेगा.
सुनने की शक्ति पर जारी पहली वैश्विक रिपोर्ट में बताया गया है कि संक्रमण, बीमारियों, जन्मजात विकार, शोर और जीवनशैली के कारण इस तरह की समस्याएं आयेंगी. रिपोर्ट में समस्या से बचाव के लिए उठाये जाने वाले कदमों के लिए एक पैकेज का प्रस्ताव दिया गया है. इसकी लागत हर साल प्रति व्यक्ति लगभग 97 रुपये आयेगी.
बतौर रिपोर्ट, इस मुद्दे पर ध्यान न देने के कारण दुनिया को हर साल एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, अभी दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति सुनने में समस्या का सामना कर रहा है. रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि अगले तीन दशकों में सुनने में समस्याओं का सामना करने वाले लोगों की संख्या 1.5 गुणा तक बढ़ सकती है. 2019 में 1.6 अरब लोग ऐसे समस्या से जूझ रहे थे. 2050 तक यह संख्या बढ़ कर 2.5 अरब हो सकती है. इन 2.5 अरब में से 70 करोड़ ऐसे होंगे, जिन्हें किसी तरह के इलाज की जरूरत होगी. 2019 में इलाज ले रहे लोगों की संख्या 43 करोड़ थी.
भारत में पंद्रह फीसदी किशोर तेजी से हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं थी, लेकिन ऊंचा सुनने लगे हैं. वजह यह कि लंबे समय तक तेज आवाज सुनने या शोर-गुल के क्षेत्र में रहने से हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज हो रहे हैं. वाहनों का शोर-गुल, उनके प्रेशर हॉर्न, तेज आवाज में संगीत सुनने की आदत धीरे-धीरे सुनने की क्षमता यानी श्रवण शक्ति घटा रही है.