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World Most Polluted Capital City: दिल्ली के नाम नया रिकॉर्ड, फिर बनी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी

World Most Polluted Capital City: दिल्ली के नाम नया रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. दिल्ली वर्ष 2021 में लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी है.

World Most Polluted Capital City देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नाम नया रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. दिल्ली वर्ष 2021 में लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी है. इतना ही नहीं, बीते वर्ष सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले दुनिया के 50 शहरों में से 35 शहर भारत में थे. स्विस संगठन आईक्यूएयर द्वारा तैयार की गई नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. मंगलवार को इसे वैश्विक स्तर पर जारी किया गया है.

दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर ढाका और तीसरे पर…

रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर सका. साल 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता की स्थिति बयां करने वाली यह रिपोर्ट 117 देशों के 6,475 शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से जुड़े डेटा पर आधारित है. दिल्ली के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका और तीसरे नंबर पर अफ्रीका महाद्वीप के चाड देश की राजधानी अन जामेना को रखा गया है.

दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में नयी दिल्ली में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों के स्तर में 14.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 2020 में 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 2021 में 96.4 माइक्रोग्राम प्रति घट मीटर हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में हैं. देश में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2019 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा.

2021 में कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के मानक पर खतरा नहीं उतरा!

यह भी बताया गया कि 48 फीसदी शहरों में पीएम-2.5 कणों का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानक से दस गुना है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में वैश्विक स्तर पर कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के मानक पर खतरा नहीं उतरा और दुनिया के केवल तीन देशों ने इसे पूरा किया.

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