Worship Act पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, जब तक वह पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर लेता और उनका निपटारा नहीं कर लेता, तब तक देश में कोई और मंदिर-मस्जिद मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता. कोर्ट अब इस मामले में 4 हफ्ते बाद सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थलों के खिलाफ नए मुकदमों के पंजीकरण पर रोक लगा दी है. वहीं लंबित मुकदमों में अंतिम/सर्वेक्षण आदेश पारित करने पर भी रोक लगा दी है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा
सुप्रीम कोर्ट ने वर्शिप एक्ट पर सुनवाई करते हुए कहा, केंद्र के जवाब तक सुनवाई नहीं होगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा कि जवाब की कॉपी सभी याचिकाकर्ता को दें. सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है.
कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दिया 4 हफ्ते का वक्त
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित सभी याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है.
आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिए
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा, आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिए. कोर्ट ने कहा, कई मामले यहां विचाराधीन हैं. हमारे पास रामजन्मभूमि फैसला भी है. कई मुद्दे उठाए गए हैं, हम विचार करेंगे.
कोई यह देखकर यह नहीं बता सकता कि कौन मंदिर है और मस्जिद
Places of Worship Act-1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, “अपोजिट पक्ष ने कहा है कि देशभर में एक 18 स्थान हैं, जहां पर सर्वेक्षण कराने का जो आदेश दिया गया है, उसे रोक दिया जाए. हमने इसका विरोध किया क्योंकि Places of Worship Act 1991 धार्मिक चरित्र की बात करता है. धार्मिक चरित्र को सिर्फ देखकर परिभाषित नहीं किया जा सकता. कोई भी व्यक्ति सिर्फ देखकर यह नहीं बता सकता कि यह (कोई स्थान) मंदिर है या मस्जिद. सर्वेक्षण अवश्य होना चाहिए. बाबर, हुमायूं, तुगलक, गजनी और गौरी के अवैध काम को वैध बनाने के लिए कोई कानून नहीं बनाया जा सकता. यह कानून पूरी तरह से भारत के संविधान के खिलाफ है.”
क्या है वर्शिप एक्ट?
1991 में कांग्रेस सरकार एक कानून लेकर आई थी, जिसे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट कहा जाता है. इस एक्ट के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है. इसमें सजा का भी प्रावधान था. उल्लंघन करने वाले को तीन साल जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इस एक्ट को हिंदू पक्ष ने संशोधित करने की मांग की है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने संशोधन का विरोध किया है.