कोरोना वैक्सीन पर जल्द ही पेटेंट में छूट मिल सकती है. विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों बातचीत कर इसपर सहमति जतायी है. साथ ही यह भी संकेत दिया है कि बातचीत की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक इस मामले को देख रहे विश्व व्यापार संगठन की बैठक में भारत ने सुझाव दिया की जुलाई के अंत तक सौदा करने के इरादे से ही विचार विमर्श होना चाहिए. इसलिए अगले स्पताह से बैठक शुरु हो सकती है.
हालांकि यूरोपीय संघ, यूके और स्विटजरलैंड ने अपना विरोध फिर से दोहाराया लिखित वार्ता में शामिल होने की बात कही. इसलिए लिए उन्होंने एक मसौदा भी शेयर किया है. वहीं जापान, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से साथ साथ अन्य देश भी बातचीत के लिए सहमत हुए हैं. ताकि जल्द से जल्द पेटंटे पर छूट का फैसला हो सके. हालांकि समझौता बातचीत तक ही सीमित है.
ड्रैगफिन सोरली जो विश्व व्यापार संगठन के नोर्वेयिन अंबेसडर है और TRIPS काउंसिल के भी प्रमुख है, उन्हें इस पर विस्तार से काम करने के लिए कहा गया है, कि आखिर पेटेंट छूट पर मौजूदा मतभेद क्या है. हालांकि सदस्य देश बातचीत के लिए सहमत हो गये हैं. ड्रैगफिन सोरली ने सुझाव दिया है कि विश्व व्यापार देशों के मंत्रियों को एक रिपोर्ट सौंपी जाए, जो अगले महीने बैठक करेंगे जिसमें अनौपचारिक रुप से समय सीमा तय की जाएगी.
वहीं भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वो हर प्रस्ताव पर बातचीत के लिए सभी देशों से बातचीत करेंगे. गौरतलब है कि विश्व व्यापार संगठन आम सहमति से चलता है. इसके सदस्य देशों में से एक का निर्णय इसके फैसले को रोक सकता है. दूसरी चिंता यह है कि क्या छूट केवल कोरोना वैक्सीन में ही मिलेगी, या इसमें दवा और इसके उपचार में शामिल चीजों का भी विस्तार किया जाएगा. इसके अलावा क्या कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल की जा रही तकनीक भी इस पेटेंट छूट में शामिल की जाएगी.
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर महीने में ही यह प्रस्ताव दिया था. पर उस वक्स विकसित देशों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था. हालांकि जब एक बार यूएस समेत कुछ और देश जब इसे मानने के लिए सहमत हुए तब जाकर यह फैसला हुआ की बातचीत के आधार पर कुछ नियम बनाये जाएंगे.
इस मामले में पाकिस्तान मलेशिया अर्जेंटिना समेत अन्य समर्थक देशों का मानना है कि कोरोना वैक्सीन और उसे हटाने के लिए इस्तेमाल की जा रही तकनीक पर पेटेंट में छूट मिलने पर वैक्सीन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. ताकि विश्व की सारी आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण किया जा सके. जो वर्तमान गति से बहुत दूर दिख रहा है. इन देशों ने तर्क दिया की पर्याप्त टीकाकरण के बिना वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकती है. जिसके कारण लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है.
Posted By: Pawan Singh