Yashpal Arya Bajpur Election Results 2022: उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले की बाजपुर सीट से कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े दलित चेहरे यशपाल आर्य को मैदान में उतारा है. 2017 के चुनाव के दौरान बीजेपी में रहे यशपाल आर्य ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले अपने घर वापसी की थी और पार्टी ने भी उन्हें उसी सीट से उम्मीदवार बना दिया. इसी सीट से उन्होंने बीजेपी की टिकट पर 2017 में जीत हासिल की थी. इस बार यहां से उनका मुकाबला बीजेपी के राजेश कुमार से है.
यशपाल आर्य को उत्तराखंड की जनता छह बार विधानसभा पहुंचा चुकी है. कांग्रेस और भाजपा की सरकार में कई विभागों के मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके यशपाल आर्य की पहचान प्रदेश के दलित नेता के रूप में होती है. प्रदेश के दलित समाज में यशपाल आर्य की खास पकड़ है. उनके पुत्र संजीव आर्य भी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं. यशपाल आर्य ने इस बार बाजपुर सीट से और उनके बेटे सुमित आर्य ने नैनीताल सीट से चुनाव लड़ा है. राज्य में उनके समर्थकों की संख्या काफी बड़ी है और दलित समाज पर खास पकड़ है. यही वजह है कि वह उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से हर चुनाव में विजयी रहे, जबकि उन्होंने पहाड़ और तराई की अलग-अलग सीटों व कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से चुनाव लड़े.
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यशपाल आर्य का जन्म 8 जनवरी 1952 को हुआ. वह 2007 से 2014 तक उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे. उन्होंने 1989 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और पहली बार विधायक चुने गए थे. यशपाल आर्य ने साल 1977 में एक मतदान केंद्र में चुनाव एजेंट के रूप में राजनीति की दुनिया में अपना कदम रखा था. कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम एनडी तिवारी के गृह क्षेत्र नैनीताल के देवलचौर गांव में एक बूथ पर कांग्रेस के बूथ एजेंट बने थे. 1977 के आम चुनाव में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस विरोधी लहर होने के बाद भी एनडी तिवारी को देवलचौर केंद्र से सर्वाधिक वोट मिले. तिवारी ने ही यशपाल का राजनीतिक करियर गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यशपाल हमेशा इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकारते भी रहे हैं.
1984 में यशपाल अपने गांव में ग्राम प्रधान चुने गए और इसके बाद उनका करियर बहुत तेजी से बढ़ा. यशपाल आर्य को नैनीताल का जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 1989 में वह खटीमा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1991 में हुए विधानसभा में उनको हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 1993 में वे पुन: हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा लौटे. 1996 में उन्हें फिर खटीमा विधानसभा से हार मिली. आगे जाकर यशपाल आर्य की पकड़ राजनीति के पुराने खिलाड़ियों में होती गई. इस राज्य में वह एक बड़े नेता के रूप में उभरे और 2012 में मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार बन गए. उनके मुख्यमंत्री बनने की बहुत संभावना थी, लेकिन अंतिम समय में विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना दिया गया. यशपाल आर्य वर्ष 2002 और 2007 में आरक्षित सीट मुक्तेश्वर और 2012 में वे बाजपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने, लेकिन वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दल बदल कर भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने यशपाल को बाजपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया, तो वे चुनाव जीतकर विधायक चुने गए.
यशपाल आर्य को उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलीं. साल 2002 में राज्य की प्रथम निर्वाचित सरकार के दौर में एनडी तिवारी ने यशपाल को विधानसभा अध्यक्ष बनवाया था. 2012 में कांग्रेस के दोबारा सत्ता में आने पर विजय बहुगुणा सरकार में उन्हें सिंचाई, राजस्व और तकनीकी शिक्षा विभाग मिले. 2017 में भाजपा सरकार बनने पर यशपाल को परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण और आबकारी विभागों के मंत्री का दायित्व सौंपा गया, लेकिन इसके बाद उन्होंने एक बार फिर पार्टी बदली और भाजपा का दामन छोड़ उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ा और प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं.