Yasin Malik News: कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक लंबे समय से कश्मीर को भारत के खिलाफ साजिश रचता रहा है. एनएआई के मुताबिक, जांच से यह स्थापित हुआ है कि यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का चीफ था और वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिवधियों में संलिप्त था. द कश्मीर फाइल्स के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के चर्चा में आने के साथ ही उनकी पत्नी मुशाल हुसैन मलिक भी ट्रेंड करने लगी हैं. वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स में भारत के खिलाफ जहर उगलने को लेकर चर्चा में हैं.
यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल, 1966 को मैसुमा (श्रीनगर) में हुआ था. यासीन मलिक के पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे. यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई है. श्री प्रताप कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले यासीन मलिक ने एक साक्षात्कार में एक आम छात्र से प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया बनने तक की कहानी बताई थी. उसने दावा किया था कि कश्मीर में सेना का जुल्म देखकर उसने हथियार उठाया. बाद में यासीन मलिक ने 80 के दशक में ताला पार्टी का गठन किया था. जिसके चलते उसने घाटी में कई बार आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था.
साल 1986 में यासीन मलिक ने ‘ताला पार्टी’ का नाम बदलकर ‘इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी आईएसएल’ कर दिया गया. इसमें वह केवल कश्मीर के युवाओं को शामिल करता था और इसका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था. आगे चलकर आईएसएल में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी शामिल हुए, जिन्होंने कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया.
1980 दशक से ही कश्मीर में हिंदुओं पर हमले होने लगे थे और इसमें यासीन मलिक और उसके साथियों का नाम आता था. कश्मीर में बढ़ती हिंसा की घटनाओं को देखते हुए 7 मार्च, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जम्मू कश्मीर की गुलाम मोहम्मद शेख सरकार को बर्खास्त कर दिया और वहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया. बाद में कांग्रेस ने फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ हाथ मिला लिया. फिर 1987 में विधानसभा चुनाव हुए और इसमें अलगाववादी नेताओं ने मिलकर एक नया गठबंधन किया. यासीन मलिक ने इस गठबंधन के प्रत्याशी मोहम्मद युसुफ शाह के लिए प्रचार किया. बाद में इसी युसुफ शाह ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन किया, जो आज युसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जाना जाता है.
8 दिसंबर, 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया था. उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद दिल्ली में अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था. कहा जाता था कि ये यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ था. साथ ही इसमें शामिल सारे आतंकवादी जेकेएलएफ से ही जुड़े थे. टाडा कोर्ट ने इस मामले में यासीन मलिक, अशफाक वानी, जावेद मीर, मोहम्मद सलीम, याकूब पंडित और अमानतुल्लाह खान को आरोपी बनाया है. 1990 में सुरक्षाबल के जवानों ने अशफाक वानी को मार गिराया था. 2017 में यासीन मलिक के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने केस दर्ज किया. 2019 में यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया. 19 मई 2022 को कोर्ट ने यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के मामले में दोषी ठहराया.
यासीन मलिक की मुशाल हुसैन से मुलाकात 2005 में हुई थी. यासीन कश्मीर के अलगाववादी मूवमेंट के लिए पाकिस्तान का समर्थन मांगने वहां गया था. वहां यासीन के भाषण को सुनने के बाद मुशाल हुसैन उससे प्रभावित हो गई. बाद में दोनों एक दूसरे के करीब आ गए. 22 फरवरी 2009 को यासीन मलिक ने पाकिस्तानी कलाकार मुशाल हुसैन से निकाह किया. मार्च 2012 में मुशाल और यासीन को एक बेटी हुई. उसका नाम रजिया सुल्ताना है. मुशाल हुसैन अपने शौहर यासीन से उम्र में 20 साल छोटी है. मुशाल हुसैन के पाकिस्तान में नेताओं और अधिकारियों के साथ संबंध है. मुशाल के पिता अंतरराष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री थे, जबकि उनकी मां पाकिस्तान मुस्लिम लीग महिला विंग की महासचिव थीं. मुशाल ने 6 साल की उम्र में पेंटिंग शुरू कर दी थी और वह सेमी न्यूड पेंटिंग बनाने के लिए प्रसिद्ध है.
यासीन मलिक की तरह उसकी पत्नी भी भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर में एक्टिव रहती है. यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक खुले तौर पर पति का समर्थन कर रही है और भारत विरोधी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती है. ट्विटर पर मुशाल हुसैन काफी एक्टिव रहती है और इस प्लेटफॉर्म पर ही उसके 80 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं.ज्यादातर पाकिस्तानी उसे फॉलो करते हैं.