इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें बयानबाजी ने सुर्खियां बटोरी. इसके अलावा भी कई बयानों की चर्चा इस साल रही. आइए नजर डालते हैं कुछ बयानों पर
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था जिसका भारत ने कड जवाब दिया. भुट्टो ने कहा था कि ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर ‘बुचर ऑफ़ गुजरात’ ज़िंदा है और वो भारत का प्रधानमंत्री है. जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी लगी हुई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि पाकिस्तान के हिसाब से भी यह बयान काफ़ी निचले स्तर का है.
कांग्रेस नेता अजय राय केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा कि स्मृति ईरानी अमेठी में आती हैं और लटके-झटके देकर चली जाती हैं. अजय राय की टिप्पणी पर भाजपा ने भी हमला किया था. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया था कि ‘राहुल गांधी के वफादार अजय राय ने स्मृति ईरानी जी पर ‘लटके झटके’ टिप्पणी की है, इससे स्तब्ध हूं. यह संयोग नहीं है- यह राजनीतिक बदला लेने के लिए प्रथम परिवार द्वारा प्रायोजित प्रयोग है क्योंकि स्मृति जी ने राजवंश को हराया. पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान भी कांग्रेस ने किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने गलती से ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर संबोधित किया था जिसपर बवाल मच गया था. सदन में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जोरदार तरीके से इसकी आलोचना की थी. इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने अपने इस बयान के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर माफी मांगी. लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि मैंने आपके पद को परिभाषित करने के लिए गलती से एक अनुपयुक्त शब्द का किया था. मुझे इसका खेद है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक विवादास्पद बयान दिया था जिसपर बवाल मच गया था. गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए खरगे ने पीएम मोदी के चेहरे पर भाजपा के वोट मांगने को लेकर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि ‘मोदी हर चुनाव में दिख जाते हैं, क्या उनके रावण की तरह 100 सिर हैं?’ खरगे के इस बयान पर भाजपा ने जोरदार पलटवार किया था.
नूपुर शर्मा की ओर से मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी की गयी थी जिसके बाद पूरे देश में बवाल मच गया था. आपको बता दें कि नूपुर शर्मा भाजपा की नेता थी. नूपुर शर्मा की मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी के बाद उनकी गिरफ्तारी की मांग तेज हो चली थी और कई जगह हिंसक प्रदर्शन तक हुए थे. सउदी अरब और कतर सहित कई मुस्लिम देशों ने भी उक्त बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. मामला बढ़ता देख भाजपा ने नूपुर शर्मा के विवादित बयान से किनारा कर लिया था और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था.
Also Read: Year Ender 2022: नए साल में भी भारत-चीन के रिश्तों की खटास मिटने के आसार कम, शी की नीति में दुविधा बरकरार
बिहार में जहरीली शराब के कारण मौत पिछले दिनों हुई थी जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बयान आया था जिसपर जमकर बानबाजी हुई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मामले पर कहा था कि ‘जो पिएगा, वो तो मरेगा ही.’ बिहार का ये मुद्दा संसद तक भी पहुंचा.
गुजरात चुनाव में सभी दलों ने जोर लगाया था लेकिन प्रदेश की सत्ता फिर भाजपा के हाथ में आयी. पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव के दौरान ऐसी बात की थी जिसकी चर्चा काफी हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि आ गुजरात में बनाव्यु छे (यह गुजरात मैंने बनाया है). इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि गुजरात को बदनाम करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी दल इस पर सवाल खड़े कर रहे थे जबकि भाजपा ने इसे चुनावी नारा बना दिया था.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग का मामला इस साल काफी चर्चा में रहा. मामले को लेकर बहुत से बयान आये. बयान देने वालों में एक नाम बरेली में हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची का भी था. उन्होंने कहा था कि जो लोग बहन और बेगम में अंतर नहीं जानते हैं, वो फव्वारे और शिवलिंग में अंतर की बात करते हैं.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या में ज्ञानवापी सर्वे को लेकर विवादित बयान दिया था जिसपर जमकर बवाल मचा था. उन्होंने कहा था कि हमारे हिंदू धर्म में कहीं पर भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो, पीपल के पेड़ के नीचे तो मंदिर बन गया.