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Year Ender 2022: अहम राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा यह साल, डालें एक नजर

वर्ष 2022 का अवसान निकट है. नववर्ष के स्वागत की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, पर इसके साथ इस वर्ष घटी प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर एक नजर डालना भी जरूरी है. इस वर्ष जहां सात राज्यों में चुनाव हुए, वहीं बिहार व महाराष्ट्र में सरकार बदल गयी. देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिलीं.

Year Ender 2022: राजनीतिक हलचलों से भरपूर रहा 2022, कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है. इस वर्ष देश के सात राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए- पांच चुनाव मार्च में और दो दिसंबर में- जिसमें से पांच राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. जबकि एक राज्य में सबको चौंकाते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार बनायी. दिल्ली के बाद एक और राज्य में सरकार बनाना आप के लिए बड़ी उपलब्धि रही. सेना में अग्निवीर की भर्ती समेत सरकार ने इस वर्ष कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जिनका प्रभाव आने वाले वर्षों में दिखाई देगा. एक नजर इस वर्ष की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर.

देश को मिली पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति

इस वर्ष देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव हुआ. इस पद के लिए चुनी जाने वाली द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति हैं. मुर्मू ने इस चुनाव में 64 प्रतिशत मत प्राप्त किया. उन्हें जहां 2,824 मत मिले, वहीं विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 1,877 मत मिले.

जगदीप धनखड़ बने उप राष्ट्रपति

पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ इस वर्ष देश के 14वें उप राष्ट्रपति निर्वाचित हुए. उन्होंने 710 वैध मतों में से 528 प्राप्त किया. जबकि विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 मत मिले.

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने बरकरार रखी सत्ता

उ त्तर प्रदेश में भाजपा ने 37 वर्षों बाद सरकार दोहराने का इतिहास बनाया. हालांकि 2017 की अपेक्षा इस वर्ष उसकी सीटें कम आयीं, लेकिन उसने पूर्ण बहुमत हासिल किया. जबकि समाजवादी पार्टी ने पिछले चुनाव की अपेक्षा कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और प्रमुख विपक्षी दल बनी. इस प्रदेश की विधानसभा में 403 सीटें हैं, जिसमें से भाजपा ने 255, समाजवादी पार्टी ने 111, अपना दल (सोनेलाल) ने 12, राष्ट्रीय लोक दल ने आठ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल ने छह-छह सीटें जीतीं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो-दो सीटें मिली. बसपा महज एक सीट ही जीत पायी. योगी आदित्यनाथ एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने.

गुजरात में भाजपा
की रिकॉर्ड जीत

इस वर्ष दिसंबर में गुजरात विधानसभा के 182 सीटों के लिए चुनाव हुए. इसमें भाजपा ने 156 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की. इससे पहले 1985 में कांग्रेस ने 149 सीटें जीत रिकॉर्ड बनाया था. कांग्रेस ने 17, आप ने पांच, सपा ने एक और निर्दलीय ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. भूपेंद्र भाई पटेल एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने.

उत्तराखंड में भाजपा
को फिर ताज

राज्य की 70 विधानसभा सीटों के लिए मार्च में हुए चुनाव में भाजपा 47 सीटों के साथ जीत दर्ज सत्ता में बनी रही. जबकि कांग्रेस को 19 और बसपा को दो सीटें मिलीं. दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं. पुष्कर सिंह धामी दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री चुने गये.

मणिपुर व गोवा में भाजपा की जीत

मणिपुर की 60 सीटों के लिए इस वर्ष मार्च में हुए चुनाव में भाजपा ने 32 सीटें जीतीं और अपनी सरकार बरकरार रखी. जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी को सात, जनता दल (यूनाइटेड) को छह, कांग्रेस और नगा पीपुल्स फ्रंट को पांच-पांच, कुकी पीपुल्स अलायंस को दो और निर्दलीय को तीन सीटें प्राप्त हुईं. एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने. गोवा विधान सभा के 40 सीटों के लिए हुए चुनाव में 20 सीटों के साथ भाजपा सत्ता बचाने में कामयाब रही. प्रमोद सावंत पुन: राज्य के मुख्यमंत्री चुने गये. कांग्रेस 11, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी व आम आदमी पार्टी ने दो-दो, गोवा फॉरवर्ड पार्टी व रिवोल्यूशनरी गोवन्स पार्टी ने एक-एक और निर्दलीय ने तीन सीटें जीतीं.

पंजाब में पहली बार आप सरकार

पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत ऐतिहासिक रही. यहां आप ने शानदार प्रदर्शन करते हुए विधानसभा की 117 सीटों में से 92 सीटें जीत लीं, जबकि सत्ता में रही कांग्रेस महज 18 सीटों पर सिमट गयी. शिरोमणी अकाली दल की हालत तो और खराब रही, वह महज तीन सीट ही जीत पायी. भाजपा को दो और बसपा को एक सीट से संतोष करना पड़ा. एक सीट निर्दलीय के खाते में गयी. भगवंत मान पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने संभाली सत्ता

प्रदेश के 68 सीटों के लिए दिसंबर में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटों के साथ बड़ी जीत दर्ज की. भाजपा को 25 सीटें ही मिलीं और उसके हाथ से यह राज्य निकल गया. जबकि तीन सीटें निर्दलीय के खाते में गयी. सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गये.

बिहार में गठबंधन बदला

इस वर्ष बिहार में खूब राजनीतिक ड्रामा हुआ. राज्य में एक बार फिर भाजपा और जदयू की दोस्ती टूट गयी. नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन का हिस्सा बने. राजद, कांग्रेस, माले सहित कई छोटे दलों के सहयोग से उन्होंने पुन: मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. जबकि राजद के तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने. राज्य में जदयू के महागठबंधन में चले जाने से भाजपा यहां सत्ता से दूर हो गयी और प्रमुख विपक्षी दल बन गयी है. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा उनकी पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रही थी, सो उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें इस गठबंधन से बाहर आने को कहा.

शिवसेना में बगावत

इस वर्ष जून में शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बगावत कर पार्टी को दो फाड़ कर दिया. शिंदे शिवसेना के अाधे से अधिक विधायकों के साथ गठबंधन से अलग हो गये. इससे महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गयी और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद शिंदे गुट की शिवेसना ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनायी. एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाये गये. फिलहाल शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर शिंदे व ठाकरे में राजनीतिक लड़ाई जारी है और मामला चुनाव आयोग के पास है. बगावत करने वाले विधायकों की मानें, तो उद्धव ठाकरे उनसे मिलते ही नहीं हैं, ऐसे में वे अपनी बातें उनके सामने रख ही नहीं पाते.

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