कश्मीर में अलगाववादियों के खिलाफ खड़े हो रहे युवा, 27 अक्तूबर को मनायेंगे शौर्य दिवस
जम्मू : कश्मीर में अलगाववादियों के दिन लद रहे हैं. पहले उनकी अपील पर बंद, रैलियां और पत्थरबाजी में सैकड़ों युवा सड़कों पर उतर आते थे, लेकिन अब कश्मीर घाटी में अलगाववादी बेअसर हो गये हैं.
जम्मू : कश्मीर में अलगाववादियों के दिन लद रहे हैं. पहले उनकी अपील पर बंद, रैलियां और पत्थरबाजी में सैकड़ों युवा सड़कों पर उतर आते थे, लेकिन अब कश्मीर घाटी में अलगाववादी बेअसर हो गये हैं.
अलगाववादी संगठन बंद और प्रदर्शन का कलेंडर जारी नहीं कर पा रहे हैं. कबाइलियों द्वारा कश्मीर पर हमले के दिन को अलगाववादी यादगार दिवस के रूप में मनाते रहे, लेकिन अब युवाओं ने इसे काला दिवस बताते हुए पोस्टर लगाये हैं.
कबाइलियों के 22 अक्तूबर, 1947 को हुए हमले की घटना की अब कश्मीरी युवा खुलकर निंदा करने लगे हैं. पहले अलगाववादी 27 अक्तूबर को शान से काला दिवस मनाते थे, जिस दिन भारतीय सेना कश्मीर में उतरी थी. अब 27 अक्तूबर को शौर्य दिवस के रूप में मनाने की तैयारी में कश्मीरी युवा जुटे हैं.
कबाइली हमले को काला दिवस बतानेवाले होर्डिंग नगर निगम से अनुमति के बाद बटवारा, डलगेट, बटमालू, जहांगीर चौक आदि इलाकों में लगाया गया था. हालांकि, बाद में इसे हटा दिया गया. होर्डिंग्स पर लिखा गया कि 22 अक्तूबर को पाकिस्तान ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला किया था.
पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के साथ किये गये समझौते का यह उल्लंघन था. होर्डिंगों में इसे लगानेवाली संस्था के रूप में सेंटर फॉर इंक्लूसिव एंड ससटेनेबल डेवलपमेंट्स का नाम अंकित है.