जाकिर हुसैन को पहली बार मिला था 5 रुपये मेहनताना, पद्म पुरस्कार समेत ग्रैमी अवॉर्ड से भी हुए हैं सम्मानित

Zakir Hussain: जाकिर हुसैन को केवल 37 साल की उम्र में 1988 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उसके बाद 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था. 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

By Pritish Sahay | December 16, 2024 12:27 AM

Zakir Hussain : महान तबला वादक जाकिर हुसैन की तबीयत काफी नाजुक है. वो अमेरिका के एक अस्पताल में भर्ती है. उनके भांजे अमीर औलिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा है कि उस्ताद जाकिर हुसैन की सलामती की दुआ करें. बता दें, जाकिर हुसैन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती है. उन्हें आईसीयू में रखा गया है उनके परिजनों का कहना है कि उनकी हालत काफी नाजुक है. इससे पहले उनके उनके निधन की खबर आई थी. हालांकि वो अभी जीवित हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी उनके निधन संबंधी पोस्ट हटा दिये हैं.

12 साल की उम्र में 5 रुपये मिला था मेहनताना

जाकिर हुसैन को तबला बजाने की कला विरासत में मिली है. तबला से लगाव होने के कारण वो बचपन से ही अच्छा तबला बजाने लगे थे. बताया जाता है कि 12 साल की उम्र में जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ एक कार्यक्रम में गए थे. उस कार्यक्रम में पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान समेत कई और संगीत के हस्तयां मौजूद थी. अपने पिता के साथ जाकिर हुसैन ने भी अपना परफॉर्मेंस दिया था. उनकी कला से सभी लोग बहुत प्रभावित हुए थे. कार्यक्रम की समाप्ती पर उन्हें 5 रुपये मिले थे. एक इंटरव्यू में जाकिर हुसैन ने बताया था कि उनकी जिंदगी में वो 5 रुपये सबसे ज्यादा कीमती थे.

जाकिर हुसैन को मिल चुका है कई सम्मान

जाकिर हुसैन को केवल 37 साल की उम्र में 1988 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उसके बाद 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया. 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. जाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

कब-कब मिला सम्मान

  • 1988 में पद्मश्री
  • 2002 में पद्म भूषण
  • 2023 में पद्म विभूषण
  • 1992 में ग्रैमी अवार्ड
  • 2009 में ग्रैमी अवार्ड

पिता से मिली थी तबला बजाने की प्रेरणा

जाकिर हुसैन को तबला बजाने की प्रेरणा उनके पिता से मिली थी. उनके पिता अल्लाह रक्खा भी बहुत बड़े तबला वादक थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में ही हुई थी. महज 12 साल की उम्र में हुसैन साहब ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज को बिखेरना शुरू कर दिया था. नन्ही उंगलियों को से तबले की धुन को सुनकर अक्सर लोगों को यकीन नहीं होता था कि इतनी छोटी उम्र का बच्चा इतना बेहतरीन धुन बजा सकता है.

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