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Zomato ने डिलीवरी पार्टनर्स को दिया Rest Point का तोहफा, इंटरनेट और मोबाईल चार्जिंग समेत मिलेंगी ये सुविधाएं

Zomato पूरी गिग इकॉनमी और विभिन्न कंपनियों के डिलीवरी पार्टनर्स को सपोर्ट करने के लिए 'रेस्ट पॉइंट्स' नाम का पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है. रेस्ट पॉइंट्स में स्वच्छ पेयजल, फोन-चार्जिंग स्टेशन, वॉशरूम तक पहुंच, हाई-स्पीड इंटरनेट, 24×7 हेल्पडेस्क और प्राथमिक चिकित्सा सहायता प्रदान मौजूद होगी.

ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zomato ने गुरुवार को कहा कि वह पूरी गिग इकॉनमी और विभिन्न कंपनियों के डिलीवरी पार्टनर्स को सपोर्ट करने के लिए ‘रेस्ट पॉइंट्स’ नाम का पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है. एक ब्लॉग पोस्ट में, कंपनी के संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल ने बताया कि गुड़गांव में इसके पहले से ही दो ‘रेस्ट पॉइंट्स’ हैं और अपने फूड डिलीवरी बिजनेस के सबसे घने क्लस्टर में और अधिक रेस्ट पॉइंट बनाने की योजना है.

Rest Point मिलेगी ये सुविधाएं

रेस्ट पॉइंट्स में स्वच्छ पेयजल, फोन-चार्जिंग स्टेशन, वॉशरूम तक पहुंच, हाई-स्पीड इंटरनेट, 24×7 हेल्पडेस्क और प्राथमिक चिकित्सा सहायता प्रदान मौजूद होगी. हालांकि, गोयल ने इन रेस्ट प्वाइंट्स को स्थापित करने के लिए संख्या या स्थान का खुलासा नहीं किया.

डिलीवरी पार्टनर को करना पड़ता है मुश्किल का सामना

गोयल ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘‘हम मानते हैं कि डिलिवरी भागीदारों को काम के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. सड़क पर चलते-चलते उन्हें यह देखना पड़ता है कि डिलिवरी का लोकेशन क्या है. साथ ही मौसम खराब होने पर भी उन्हें ऑर्डर की समय पर डिलिवरी करनी होती है.

Zomato के CEO ने दी जानकारी

गोयल ने कहा, “उनके कल्याण के लिए हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप, हमें शेल्टर प्रोजेक्ट की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है – जिसके तहत हमने पूरी गिग इकॉनमी और विभिन्न कंपनियों के डिलीवरी पार्टनर्स को समर्थन देने के लिए सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (जिसे रेस्ट पॉइंट्स कहा जाता है) का निर्माण शुरू किया है.

Rest Point से डिलीवरी पार्टनर्स को मिलेगी राहत

गोयल ने आगे कहा कि “हम मानते हैं कि सभी डिलीवरी पार्टनर्स को आराम करने, रिचार्ज करने और खुद के लिए एक पल बिताने के लिए जगह प्रदान करके, हम एक बेहतर वातावरण बना सकते हैं जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.”

गिग इकॉनमी में होगी बढ़ोतरी

NITI Aayog के एक अध्ययन ने हाल ही में अनुमान लगाया था कि 2020-21 में, 77 लाख कर्मचारी भारत की गिग इकॉनमी में लगे हुए थे, 2029-30 तक कर्मचारियों की संख्या 2.35 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद थी. डिलीवरी बॉय, सफाईकर्मी, सलाहकार, ब्लॉगर आदि सभी गिग इकोनॉमी का हिस्सा हैं, और सामाजिक सुरक्षा, ग्रेच्युटी, न्यूनतम मजदूरी संरक्षण और काम के घंटे से संबंधित कई चुनौतियों का सामना करते हैं, क्योंकि वे पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी के बाहर आजीविका में लगे हुए हैं.

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