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रेलवे अस्पताल में भगवान भरोसे मरीजों का इलाज

लखीसराय : किऊल रेलवे अस्पताल में विभागीय कर्मचारी एवं संसाधन की कमी के कारण मरीजों का इलाज भगवान भरोसे किया जाता है. इस अस्पताल में रेल कर्मी एवं उनके परिजनों का इलाज किसी तरह तो किया जाता है, लेकिन यात्री के इलाज के लिये काफी परेशानी होती है. चिकित्सक के पास कोई ऐसी सुविधा उपलब्ध […]

लखीसराय : किऊल रेलवे अस्पताल में विभागीय कर्मचारी एवं संसाधन की कमी के कारण मरीजों का इलाज भगवान भरोसे किया जाता है. इस अस्पताल में रेल कर्मी एवं उनके परिजनों का इलाज किसी तरह तो किया जाता है, लेकिन यात्री के इलाज के लिये काफी परेशानी होती है. चिकित्सक के पास कोई ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे मरीज को घंटा दो घंटा रोक कर इलाज किया जा सके. रेल में यात्री के साथ किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर उसे केवल प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है.

यात्री या अन्य के साथ टूट-फूट की घटना होने पर ड्रेसर की कमी के कारण किसी तरह मलहम पट‍्टी किया जाता है और सदर अस्पताल लखीसराय के लिये रेफर कर दिया जाता है. जिसकी दूरी रेलवे अस्पताल से सात किलोमीटर लगभग है. यहां तक जाने के लिये यात्री को या तो जीआरपी वाहन का सहारा लेना पड़ता है या फिर निजी वाहन का. गंभीर स्थिति में मरीज को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है. कई मरीज की गंभीर स्थिति में होने पर चिकित्सक उसका इलाज भगवान भरोसे करते हैं.

वहीं महिला चिकित्सक नहीं होने पर डेलीवरी या अन्य महिला रोगी के इलाज में भी काफी परेशानी होती है. ऐसा नहीं है कि यह स्थिति केवल इसी अस्पताल में है. झाझा या मोकामा के रेलवे अस्पताल में भी कमोबेश यही स्थिति है. किऊल के रेलवे अस्पताल में नर्स एवं महिला कर्मी भी नहीं है. हाल ही के दिनों में दो तीन नखाखुरानी की शिकार महिला यात्री के इलाज में काफी परेशानी हुई. वहीं डेलीवरी को लेकर भी कभी ट्रेन में तो कभी अस्पताल में महिला मरीजों को लाया जाता है. जिसका इलाज अस्पताल में कार्यरत अटेंडेंट व फार्मासिस्ट के द्वारा ही किया जाता है.

बोले अधिकारी
किऊल रेलवे अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आलोक कुमार ने बताया कि अस्पताल में दवा की कमी नहीं है. केवल संसाधन उपलब्ध नहीं है. लेकिन इसके बावजूद मरीजों का इलाज सही ढंग से किया जाता है. उन्होंने अस्पताल में महिला कर्मी व नर्स की कमी होने की बात स्वीकार की.

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