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शाद अजीमाबादी के स्मृति पर्व पर चादरपोशी

पटना सिटी़ : परदा पोशाने वतन तुमसे तो यह भी न हुआ एक चादर को तरसती रही तुरबत मेरी, …करो वो काम, जो काम है कर गुरजने के, समझ लो शाद के दिन आ गए हैं. खान बहादुर नवाब सैयद मोहम्मद शाद अजीमाबादी की यह शायरी उनकी मजार पर एक बार फिर याद की गयी. […]

पटना सिटी़ : परदा पोशाने वतन तुमसे तो यह भी न हुआ एक चादर को तरसती रही तुरबत मेरी, …करो वो काम, जो काम है कर गुरजने के, समझ लो शाद के दिन आ गए हैं. खान बहादुर नवाब सैयद मोहम्मद शाद अजीमाबादी की यह शायरी उनकी मजार पर एक बार फिर याद की गयी. मौका था उनके 90 वें स्मृति

पर्व पर सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था नवशक्ति निकेतन की ओर शनिवार को आयोजित चादरपोशी के समारोह का. हाजीगंज लंगूर गली स्थित मजार पर आयोजित समारोह में विधान पार्षद रामचंद्र भारती ने कहा कि अजीमाबादी की स्मृति को संरक्षित व सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास सरकार के स्तर पर होगा. कार्यक्रम का संचालन कमल नयन श्रीवास्तव ने किया. संस्था के अध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद विजय शंकर मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम की शुरुआत फूलमाला, चादरपोशी व फातिहा के साथ हुई. वक्तओं ने कहा कि शाद की नज्मों से मुल्क का दिल धड़कता है.

शाद के परपोता डॉ नेसार अहमद व परपोती प्रो शहनाज फातमी, लल्लू शर्मा, रजी अहमद, राजकुमार भरतिया, अनंत अरोड़ा, शारीफ अहमद रंगरेज, एहसान अली अशरफ, अजय वर्मा, अकबर रजा जमशेद, मो जावेद, डॉ ज्ञानेंद्र प्रसाद ज्ञानू, बबन प्रसाद वर्मा, मजहर आलम मखदुमी, अरुणा देवी, योगेंद्र प्रसाद आजाद, हनीफ शेख, सुजीत कसेरा, मो अमीन, सैयद इरशाद हुसैन, संतोष द्विवेदी, निधि मिश्र, डॉ विनोद अवस्थी, बबन प्रसाद वर्मा, आलोक चोपड़ा, अनिल रश्मि आदि कार्यक्रम में शामिल थे. वक्ताओं ने चांद कॉलोनी को शाद अजीमाबाद कॉलोनी करने व स्मारक बनाने की मांग उठायी. साथ ही सरकार से शाद स्मारक बनवाने, राजभाषा में उनके नाम से पांच लाख रुपये का नामित पुरस्कार आरंभ करने की मांग उठायी.

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