अक्टूबर और नवंबर के महीनों को ओडिशा में ‘चक्रवात काल’ माना जाता है. ऐसे में राज्य सरकार ने संभावित आपदा से निपटने के लिए तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं. एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि मुख्य सचिव पीके जेना ने यहां एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और इस दौरान उन्होंने जिलाधिकारियों और विभिन्न विभागों के सचिवों को 10 अक्टूबर से 45 दिन के लिए सतर्क रहने का निर्देश दिया. भुवनेश्वर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एचआर बिस्वास ने बैठक के दौरान राज्य सरकार को सूचित किया कि 10 अक्टूबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के लौट जाने की संभावना है. मानसून की वापसी के बाद 45 दिन के भीतर राज्य में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात के लिए मौसम के प्रतिकूल परिस्थितियां बनती हैं. बिस्वास ने राज्य सरकार से कहा कि राज्य को 10 अक्टूबर के बाद 45 दिन तक सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि अतीत में अधिकतर चक्रवात इसी अवधि में बने हैं.
1999 के बाद ओडिशा में आए हैं 10 बड़े चक्रवात
ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) के एक अधिकारी ने कहा, ‘ओडिशा में वर्ष 1999 के बाद से 10 बड़े चक्रवात आए हैं और अक्टूबर पूर्वी राज्य के लिए चक्रवात का मौसम है. जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा के तटीय जिलों में 29 अक्टूबर 1999 को एक महा चक्रवात में लगभग 10,000 लोग मारे गए थे और 11 अक्टूबर 2013 को चक्रवात ‘फैलिन’ से भी तटवर्ती क्षेत्र प्रभावित हुए थे.’
संवेदनशील जिलों के डीएम के लिए जारी किए गए निर्देश
विकास आयुक्त, विशेष राहत आयुक्त, 12 विभाग प्रमुख, भुवनेश्वर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक, महानिदेशक (अग्निशमन सेवा) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) एवं ओडीआरएएफ के प्रमुख बृहस्पतिवार को हुई इस बैठक में शामिल हुए. जेना ने राज्य में अतीत में आए चक्रवातों के मद्देनजर संवेदनशील क्षेत्रों के जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए, जिसमें विभागों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
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10 अक्टूबर तक कर लें सभी तैयारी
उन्होंने निर्देश दिया कि 10 अक्टूबर तक सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएं और सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं. जेना ने कहा, ‘आपदाओं से निपटने के लिए विभागों की पहले से ही एक विशिष्ट एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) है. अब, विभाग प्रमुखों को आपात स्थिति के लिए उनकी जांच और पुन: जांच करनी होगी. विभागों के अधिकारियों को भी संकट के दौरान मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.’