ओडिशा में पिछले दिनों हुई भारी बारिश और महानदी में बड़े पैमाने पर पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर पेयजल की किल्लत साफ देखी जा रही है. सड़कें जलमग्न हो गयीं हैं, जिसकी वजह से टैंकर से उन तक पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. 11 जिलों में करीब 6.24 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं. ये सभी किसी न किसी मुश्किल का सामना कर रहे हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है.
बाढ़ के पानी को उबालकर पी रहे हैं लोग
स्थिति इतनी गंभीर हो गयी है कि कुछ लोग बाढ़ के पानी को उबाल कर पी रहे हैं. इसकी वजह लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. राहत की बात यह है कि प्रमुख नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है. बावजूद इसके 75 नये गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. उधर, सरकार का कहना है कि वह बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी के टैंकर भेज रही है, लेकिन प्रभावित लोगों ने बताया कि सड़कें जलमग्न होने के कारण टैंकर उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
घर और ट्यूबवेल बाढ़ में डूबे
बाढ़ से प्रभावित लोगों ने पास के स्कूलों में शरण ले रखी है. केंद्रपाड़ा जिले के राजनगर ब्लॉक में संथापाड़ा गांव के 68 वर्षीय कालिंदी बारिक ने कहा कि हमारे इलाके में मेरा घर और ट्यूबवेल बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. हमारे पास पीने का पानी नहीं है. हम बाढ़ के पानी को ही उबालकर पी रहे हैं. बारिक की तरह केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और खुर्दा जिलों वाले महानदी डेल्टा क्षेत्र में कई अन्य प्रभावित लोगों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस नेता गणेश्वर बेहरा ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणेश्वर बेहरा ने बाढ़ से प्रभावित कई क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि प्रभावित लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पीने के पानी की कमी उनमें से सबसे बड़ी दिक्कत है. उन्होंने बताया कि लोग जल-जनित बीमारियों के फैलने के डर से बाढ़ का पानी पीने से डरते हैं. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने यहां बताया कि ग्रामीण जल आपूर्ति एवं स्वच्छता (आरडब्ल्यूएसएस) विभाग को बाढ़ प्रभावित लोगों तक दवाओं की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है.
केंद्रपाड़ा के डिप्टी कलेक्टर बोले – बाढ़ प्रभावित इलाके में भेजे गये पानी के टैंकर
केंद्रपाड़ा के उप जिला कलेक्टर निरंजन बेहेरा ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीने के पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं. दूसरी तरफ, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों का कहना है कि सड़कें पानी में डूब गयीं हैं. इसकी वजह से टैंकर उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) कार्यालय ने कहा कि 75 और गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं, जिससे रविवार को प्रभावित गांवों की कुल संख्या 1,973 हो गयी है. बाढ़ से प्रभावित शहरी क्षेत्रों की संख्या 26 में अब तक कोई वृद्धि नहीं हुई है.
हीराकुद बांध के 20 गेट खोले गये, महानदी में छोड़ा गया पानी
एसआरसी कार्यालय ने एक रिपोर्ट में बताया कि बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या शनिवार को 5.73 लाख थी, जो बढ़कर रविवार को 6.24 लाख हो गयी है. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने शनिवार से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाले गये 912 अन्य लोगों के लिए सात और मुफ्त रसोई की व्यवस्था की है. इस बीच, हीराकुद बांध के अधिकारियों ने 20 गेट खोलकर महानदी के निचले हिस्से में अतिरिक्त पानी छोड़ दिया है.
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तीन दिन तक कोई खतरा नहीं
हीराकुद बांध के जलाशय में जलस्तर सोमवार को जलाशय के पूर्ण जलस्तर 630 फुट के मुकाबले 621 फुट रहा. जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता रंजन मोहंती ने कहा कि चूंकि पानी का प्रवाह कम हो गया है, हमें उम्मीद है कि हम अपना लक्ष्य स्तर बनाये रखेंगे. महानदी के ऊपरी हिस्से में कोई भारी बारिश नहीं हुई है. इसलिए, बाढ़ की स्थिति स्थिर है और अगले तीन दिनों तक कोई खतरा नहीं है. कटक के पास मुंडाली में अब लगभग तीन लाख क्यूसेक पानी बह रहा है.