राउरकेला एडीएम कार्यालय में कार्यरत असिस्टेंट कलेक्टर सुष्मिता मिंज व एएसआइ एलिस नरमी लुगुन की संदिग्ध मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सुंदरगढ़ जिले के आदिवासियों में इसे लेकर जबरदस्त आक्रोश है. आये दिन किसी न किसी धरना-प्रदर्शन व आंदोलन के माध्यम से उनका आक्रोश सामने आ रहा है. शुक्रवार को सुंदरगढ़ जिले के आदिवासी संगठनों के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने एक विशाल विरोध जुलूस निकाला और मामले का खुलासा करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए जिलापाल कार्यालय का घेराव किया. इस अवसर पर आयोजित विरोध सभा में आदिवासी नेताओं ने नवीन पटनायक सरकार समेत जिलापाल, राउरकेला एसपी व एडीएम को आड़े हाथों लिया. मामले की जांच सीबीआइ से करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर दोनों आदिवासी महिला अधिकारियों की मौत के दोषियों को सजा नहीं मिली, तो आगामी दिनों में स्थिति भयावह होगी. इस दाैरान आदिवासी संगठनों ने इन आदिवासी महिला अधिकारियों की मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियोंं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. साथ ही इसमें आरोप लगाया गया कि योजनाबद्ध तरीके से असिस्टेंट कलेक्टर सुस्मिता मिंज की हत्या की गयी है. इस विरोध प्रदर्शन में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिला आदिवासी मंच, सुंदरगढ़ जिला माटी बचाओ मंच, सुंदरगढ़ महिला फोरम, राउरकेला महिला फोरम, सुंदरगढ़ ग्राम सभा फोरम, आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच, आंचलिक सुरक्षा मंच के हजारों महिला-पुरुष शामिल हुए.
सुस्मिता मिंज के पति से जांच अधिकारी ने दो घंटे तक की पूछताछ
असिस्टेंट कलेक्टर सस्मिता मिंज की मौत के बहुचर्चित मामले में शुक्रवार को एसपी कार्यालय में उनके पति सुशील टोप्नो से पूछताछ की गयी. बताया जाता है कि जांच अधिकारी डीएसपी वनिता माझी ने सुशील से करीब दो घंटे तक घटना के बारे में पूछताछ की. सुशील टोप्नो छत्तीसगढ़ में एक बैंक में कार्यरत हैं. डीएसपी बनिता माझी के नेतृत्व में जांच जारी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जांच कब पूरी होगी और आरोपी कब पकड़े जायेंगे. वहीं इस मामले को लेकर राउरकेला एसपी मित्रभानु महापात्र का कहना है कि जांच पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हो रही है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जिनके नाम सामने आयेंगे, उन सभी से पूछताछ की जायेगी.
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क्या है पूरा मामला
राउरकेला के सेंसोरी पार्क स्थित तालाब से 19 सितंबर को सुस्मिता मिंज का शव बरामद हुआ था. उसके भाई संदीप मिंज ने बाद में पूर्व नियोजित हत्या की शिकायत दर्ज करायी थी. शव बरामदगी के एक दिन पहले 18 सितंबर को जिलापाल के आदेश पर गुरुंडिया बीडीओ बेरनादत्त लकड़ा और गुरुंडिया सीडीपीओ फुलजेंसिया एक्का मृतक के घर गये थे. लेकिन सुस्मिता घर पर नहीं थीं, इसलिए उन्होंने उनकी मां और भाई से बात की थी. जिससे इस घटना के पीछे के राज का पर्दाफाश करने की मांग परिजनों ने की है. लेकिन अभी तक उनकी एफआइआर दर्ज नहीं होने का आरोप लगाया गया है.
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