ओडिशा के बालांगीर-बरगढ़ जिलों में फैली और आयुर्वेदिक औषधियों की खान कही जाने वाली गंधमर्दन पहाड़ियों को अब जैवविविधता धरोहर स्थल(Biodiversity Heritage Site) घोषित किया गया है. ओडिशा के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की. विभाग ने कहा कि करीब 190 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली गंधमर्दन पहाड़ियों को अब ओडिशा जैवविविधता नियम-2012 के तहत ‘जैवविविधता धरोहर स्थल’ का दर्जा दिया जाएगा, ताकि उनके पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके.
इस तरह यह कंधमाल जिले के मंदसुरु गॉर्ज और गजपति के महेंद्रगढ़ के बाद राज्य में तीसरा जैवविविधता धरोहर स्थल बन जाएगा. इस पर्वतीय क्षेत्र में 1,055 पादक प्रजातियां हैं, जिनमें अनेक औषधीय हैं.
पौधों और जानवरों की 1,700 प्रजातियां
इस पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में पौधों की 1,200 प्रजातियां और जानवरों की 500 प्रजातियां मिलीं. इसके अलावा, लगभग 209 पेड़, 135 झाड़ियाँ, 473 जड़ी-बूटियां, 77 पर्वतारोही और औषधीय पौधों की 300 प्रजातियां भी पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में दर्ज की गयी, जिनमें से 18 प्रजातियों को खतरे के रूप में और एक प्रजाति को स्थानिक के रूप में चिह्नित किया गया है.
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सरकारी अधिसूचना के अनुसार, गंधमर्दन पर्वत श्रृंखला ओडिशा के आयुर्वेदिक स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध है, जहां पारंपरिक ज्ञान धारक विभिन्न रोगों और बीमारियों के इलाज के लिए जंगली औषधीय पौधों का संग्रह करते रहे हैं.
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