पेरिस जलवायु संधि और अमेरिका

पेरिस जलवायु संधि से हटते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो दलीलें दी हैं, वह दुनिया के कई मशहूर अर्थशास्त्रियों और पर्यावरणविदों को भी पच नहीं रही हैं. कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’. पृथ्वी हमसे नहीं, हम पृथ्वी से हैं और इसकी हरियाली में ही हमारा अस्तित्व छिपा है. ट्रंप साहब को ग्लोबल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2017 6:17 AM
पेरिस जलवायु संधि से हटते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो दलीलें दी हैं, वह दुनिया के कई मशहूर अर्थशास्त्रियों और पर्यावरणविदों को भी पच नहीं रही हैं. कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’. पृथ्वी हमसे नहीं, हम पृथ्वी से हैं और इसकी हरियाली में ही हमारा अस्तित्व छिपा है.
ट्रंप साहब को ग्लोबल वार्मिंग जैसी बातें रास नहीं आ रही हैं और अमेरिका की अर्थव्यवस्था की चिंता है. सवाल अर्थव्यवस्था का तब आता है, जब पर्यावरण के सभी जीव-जंतु जीवित हों. मानव सुरक्षित हो. जब सृष्टि ही अपनी इहलीला समाप्त कर लेगी, तब अर्थव्यवस्था का क्या होगा? भगवान ट्रंप साहब को सद्बुद्धि दे. प्राकृतिक संसाधन केवल मनुष्य के लिए नहीं, बल्कि उन असंख्य प्राणियों के लिए भी है, जो प्रकृति को संतुलित रखते हैं.
बी सी पाठक, मिदनापुर

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