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बेकाबू होते साइबर हमले

एक माह से भी कम समय में दुनियाभर के कंप्यूटर दूसरी बार साइबर हमले की चपेट में हैं. मई के दूसरे हफ्ते में 150 देशों के दो लाख कंप्यूटरों को वानाक्राइ नाम का वायरस अपनी चपेट में ले चुका है और बेकाबू हो रहा है. वानाक्राइ कंप्यूटरों को बंधक बनानेवाली एक साइबर युक्ति थी, जो […]

एक माह से भी कम समय में दुनियाभर के कंप्यूटर दूसरी बार साइबर हमले की चपेट में हैं. मई के दूसरे हफ्ते में 150 देशों के दो लाख कंप्यूटरों को वानाक्राइ नाम का वायरस अपनी चपेट में ले चुका है और बेकाबू हो रहा है. वानाक्राइ कंप्यूटरों को बंधक बनानेवाली एक साइबर युक्ति थी, जो कंप्यूटर के डेटा पर कब्जा कर फिरौती मांगती थी. अब नया हमला फायरबॉल नाम से हुआ है. हम इंटरनेट के अथाह सागर में ब्राउजर नामक जिस कश्ती पर सवार होकर सफर को निकलते हैं, फायरबॉल उसे ही अपने कब्जे में कर लेता है. कब्जे में आने के बाद ब्राउजर के सहारे इंटरनेट पर चलनेवाली कोई भी खोजबीन चीन के बीजिंग स्थित डिजिटल मार्केटिंग की फर्म रोफोटेक के निर्देशों के हिसाब से होने लगती है.
फायरबॉल की ताकत का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह आपके कंप्यूटर के कोड बदल सकता है और कोई भी फाइल अपनी मर्जी से डाउनलोड कर सकता है. फायरबॉल अब तक दुनिया के 25 करोड़ कंप्यूटरों को संक्रमित कर चुका है और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में एक है. एक माह से भी कम समय में दो बार बड़े साइबर-हमले की चपेट में आना सूचना तकनीक (आइटी) के क्षेत्र में किये जा रहे सुरक्षा के इंतजाम पर सवाल खड़े करता है.
याद रखना होगा कि आइटी के करिश्मे ने राष्ट्र-राज्य की सीमाओं को नया अर्थ दिया है. कोई शत्रु आपके सीमा-क्षेत्र में बदनीयती से प्रवेश करता है, तो उसे बलपूर्वक रोका जाये, यह राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा का परंपरागत अर्थ है. रोजमर्रा के सार्वजनिक बरताव के कंप्यूटरीकरण ने इसमें एक नया आयाम जोड़ा है. अब कंप्यूटरी सूचना-संजाल की रक्षा करना भी राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा से कोई कम नहीं.
अगर सैन्य तैयारियों से लेकर सेवा और सामान के व्यापार तक अत्यंत गोपनीय सूचनाएं पासवर्ड नाम की चाबी के सहारे कंप्यूटर नाम की तिजोरी में बंद हैं, तो फिर हर चंद आशंका है कि दूर बैठा कोई व्यक्ति या संस्था जिसका हम नाम-पता भी नहीं जानते, अपने स्वार्थ साधने के लिए इस चाबी को चुराने या तिजोरी में सेंधमारी की कोशिश करेगा.
यह काम खुफिया एजेंसियां, बहुराष्ट्रीय निगम, आतंकी संगठन या फिर लालच का मारा अदना-सा व्यक्ति भी कर सकता है. सो वैश्वीकरण के साइबर संसार में सतर्कता, गोपनीयता और प्रौद्योगिकी के लिहाज से अग्रगामी तैयारी सबसे ज्यादा जरूरी चीजों में एक है. वानाक्राइ और फायरबॉल जैसे हमले संकेत करते हैं कि अपना देश डिजिटल इंडिया के मिशन पर तेज कदमों से चलने के बावजूद साइबर सुरक्षा के मामले में पीछे है. इस पर त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है.

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