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तेल का रोजाना हिसाब

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने 16 जून से हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों के निर्धारण का फैसला लिया है. उनका कहना है कि इससे वैश्विक तेल बाजार की उथल-पुथल के नकारात्मक असर से बचा जा सकता है तथा निजी कंपनियों से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा की जा सकती है. यह भी कहा जा रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2017 6:24 AM
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने 16 जून से हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों के निर्धारण का फैसला लिया है. उनका कहना है कि इससे वैश्विक तेल बाजार की उथल-पुथल के नकारात्मक असर से बचा जा सकता है तथा निजी कंपनियों से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा की जा सकती है. यह भी कहा जा रहा है कि बीच-बीच में अधिक वृद्धि होने से उपभोक्ताओं और बाजार पर दबाव बढ़ जाता है. रोजाना की मामूली घटत-बढ़त से वैसे झटकों से बचा जा सकेगा. अभी एक पखवाड़े के अंतराल पर कीमतों का निर्धारण किया जाता है.
जून, 2010 में पेट्रोल तथा अक्तूबर, 2014 में डीजल को विनियमित किये जाने के बाद से ही कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने-घटने के अनुसार मूल्यों को निर्धारित करने की स्वायत्तता मिल गयी थी, लेकिन इस प्रक्रिया पर अर्थव्यवस्था में तेल की महत्वपूर्ण भूमिका तथा आम नागरिकों के रोजमर्रा के कामकाज के लिहाज से सरकार का परोक्ष नियंत्रण बरकरार रहा है क्योंकि इसका सीधा संबंध राजनीतिक फायदे-नुकसान से भी जुड़ता है.
देश में तेल कारोबार के करीब 95 फीसदी हिस्से पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का नियंत्रण हैं. कीमतों को रोजाना तय करने का यह निर्णय 2012 से ही विचाराधीन था. इसे देशभर में लागू करने से पहले एक मई से उदयपुर, जमशेदपुर, पुडुचेरी, चंडीगढ़ और विशाखापट्टनम में प्रायोगिक तौर पर अपना कर देखा गया. लेकिन, इस फैसले से तेल बेचनेवाले खुदरा व्यापारी नाखुश हैं.
उनका कहना है कि इसे लागू करने से पहले सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां एक ऑटोमेटेड सिस्टम बनाये. खुदरा कारोबारियों की दिक्कत यह है कि आधी रात को बदले हुए दाम को अपडेट करने में कुछ घंटे लगते हैं और इस दौरान पेट्रोल पंपों को बंद रखना पड़ेगा. अगर इस आशंका का समाधान नहीं किया गया, तो उपभोक्ताओं को, खासकर राजमार्गों पर, मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. देशभर में खुदरा कारोबारियों द्वारा करीब 58 हजार पेट्रोल पंप संचालित किये जाते हैं और इनमें से ज्यादातर पंप राजमार्गों पर स्थित हैं.
हालांकि इस फैसले के नफा-नुकसान का हिसाब तो बाद में ही लगाया जा सकता है, पर कारोबारियों की यह शिकायत जायज दिखती है कि ऐसे बड़े कदम उठाने से पहले उन्हें भरोसे में लिया जाना चाहिए था. इन व्यावसायियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है. उम्मीद है कि 13 जून को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और कारोबारियों के बीच बैठक में समुचित समाधान निकाला जा सकेगा तथा उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता दी जायेगी.

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