उपेक्षित हैं भारतीय किसान

आज का किसान सबसे ज्यादा उपेक्षित है. वह साल भर की सारी कमाई फसल उगाने में झोंक देता है, इस आशा में कि शायद उसे लागत से ज्यादा मूल्य प्राप्त हो. पर सच्चाई से हम सब वाकिफ हैं. बारिश नहीं हुई, तो भी पैसा डूबता है और ज्यादा हुई तो भी. उस समय केवल किसान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2017 8:34 AM

आज का किसान सबसे ज्यादा उपेक्षित है. वह साल भर की सारी कमाई फसल उगाने में झोंक देता है, इस आशा में कि शायद उसे लागत से ज्यादा मूल्य प्राप्त हो. पर सच्चाई से हम सब वाकिफ हैं. बारिश नहीं हुई, तो भी पैसा डूबता है और ज्यादा हुई तो भी.

उस समय केवल किसान की पूंजी नहीं जाती बल्कि उसकी जिंदगी का सौदा होता है. कहने को तो भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन क्या किसान को अपनी मेहनत के अनुरूप सफलता मिलती है? अगर एक रुपये की कोई योजना है, तो उस व्यक्ति के पास पहुंचते-पहुंचते बीस पैसे भर रह जाता है.

अब ऐसे में जब किसान आत्महत्या करते हैं, तो उनकी मजबूरियों पर विचार न कर अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती हैं. इसे बदलने की जरूरत है. किसान को सामर्थ्यवान बनाना ही होगा है.

भार्गवी चंद्र, शास्त्री नगर, गुमला

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