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‘नेकी की दीवार’

रमेश ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार समाज में एक ओर जहां नफरत की दीवारें खड़ी हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर सेवाभाव के जरिये कुछ लोगों ने मानवीय रक्षा के हित में एक अनोखी दीवार की नींव डाली है. उसे नाम दिया गया है- ‘नेकी की दीवार’. समाज में अक्सर नफरत की दीवारें कुछ के आंसुओं पे […]

रमेश ठाकुर
वरिष्ठ पत्रकार
समाज में एक ओर जहां नफरत की दीवारें खड़ी हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर सेवाभाव के जरिये कुछ लोगों ने मानवीय रक्षा के हित में एक अनोखी दीवार की नींव डाली है. उसे नाम दिया गया है- ‘नेकी की दीवार’. समाज में अक्सर नफरत की दीवारें कुछ के आंसुओं पे खड़ी की जाती हैं, लेकिन ‘नेकी की दीवार’ ने इस भ्रांति को बदल दिया है. यह ऐसी दीवार साबित हो रही है, जहां गरीब असहाय लोगों की दैनिक जरूरतें पूरी हो रही हैं. इसकी जड़ें देशभर में फैली हैं. हर राज्य में ‘नेकी की दीवार’ के नाम से लोग सामाजिक सेवा कर रहे हैं.
यूं तो ‘दीवार’ नाम सुनते ही दिमाग में तरह-तरह की इमारतें बननी शुरू हो जाती हैं, लेकिन ‘नेकी की दीवार’ ने समाज में सेवाभाव की अनोखी इमारत तैयार की है. समाजसेवा करने के लिए ‘नेकी की दीवार’ का नाम दिया गया है. दरअसल, यह एक सोच है, जिसके जरिये लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आते हैं.
इस प्रोग्राम के तहत लोग एक तय जगह पर इकट्ठे होते हैं और अपने साथ ऐसे सामान लेकर आते हैं, जो उनके लिए गैरजरूरी होता है. जैसे कि पुराने कपड़े, चादरें, जूते, किताबें, बरतन या फिर कोई भी घरेलू सामान. इकट्ठा हुए सामानों में जो जिसके काम का होता है, वहां मौजूद गरीब लोग अपनी-अपनी जरूरत की चीज उठा कर रख लेते हैं. यह एक बेहद ही नेक काम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में ‘नेकी की दीवार’ से जुड़े लोगों की सराहना की है. साथ ही, इस नेक काम को प्रधानमंत्री मोदी ने मानवता की रक्षा के लिए सबसे बड़ा सामाजिक कार्य भी बताया है.
इस मुहिम ने लोगों के भीतर समाजसेवा की एक अलख जगा दी है. शहर, कस्बे, गांव और मोहल्लों में भी लोग इस दीवार का निर्माण कर रहे हैं. नेकी की दीवार में सबका किरदार एक जैसा होता है.
अगर आपके घर में पुराने पहनने-ओढ़ने-बिछाने के कपड़े, किताबें, खिलौने, बरतन एवं दवाइयां, क्रॉकरी, फर्नीचर आदि जो भी है, जिसका आप प्रयोग नहीं कर रहे हैं और वह गरीब असहाय व जरूरतमंदों के काम आ जाये, तो आप उक्त सामान को ‘नेकी की दीवार’ को दे दीजिये. यहां से जरूरतमंद आकर खुद इन्हें ले जायेंगे.
‘नेकी की दीवार’ कार्यक्रम को शहर-गांव-कस्बे में कहीं भी एक दुकान की तरह सजा दिया जाता है, जहां जाकर जरूरतमंद अपनी जरूरत के हिसाब से कोई चीज ले सकता है. यह उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं. जो गरीब अपने स्वाभिमान के कारण किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहते, वे ‘नेकी की दीवार’ से अपनी जरूरत की चीजें ले सकते हैं.

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