आतंक के विरुद्ध सतर्कता बनी रहे

दिल्ली और राजस्थान पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में चार संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों की बड़ी कामयाबी है. इनमें 10 लाख का इनामी पाकिस्तानी नागरिक वकास उर्फ जावेद मोहम्मद भी है, जिस पर कई बड़े बम धमाकों में शामिल होने के आरोप हैं. इनसे बरामद गोला-बारूद और शुरुआती छानबीन से यह संकेत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2014 3:52 AM

दिल्ली और राजस्थान पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में चार संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों की बड़ी कामयाबी है. इनमें 10 लाख का इनामी पाकिस्तानी नागरिक वकास उर्फ जावेद मोहम्मद भी है, जिस पर कई बड़े बम धमाकों में शामिल होने के आरोप हैं. इनसे बरामद गोला-बारूद और शुरुआती छानबीन से यह संकेत साफ है कि आतंकवादी लोकसभा चुनावों के दौरान किसी बड़ी वारदात की तैयारी में थे.

माना जा रहा है कि यासिन भटकल समेत पहले पकड़े गये आतंकियों से मिली सूचनाओं और एजेंसियों में परस्पर तालमेल के कारण ही यह गिरफ्तारी संभव हो सकी है. चुनाव के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा और चौकसी की आवश्यकता होती है. पुलिस और सहायक इकाइयों पर सामान्य काम का भी दबाव बढ़ जाता है. ऐसे में इन संस्थाओं की सतर्कता अत्यंत सराहनीय है, जिसे लगातार बनाये रखने की जरूरत है. कई दफे ऐसा देखा गया है कि विभिन्न राज्यों की पुलिस, इंटेलीजेंस ब्यूरो, गृह मंत्रलय और रॉ के बीच सूचनाओं के समुचित आदान-प्रदान और तालमेल नहीं होने का फायदा उठा कर आतंकी अपने मंसूबों में सफल हो जाते हैं.

इन गिरफ्तारियों से यह संकेत मिलता है कि हमारी संस्थाएं आतंक पर नियंत्रण पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं. देश की आंतरिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे बिगाड़ने की कोशिशों में सीमा-पार बैठे सरगनाओं की बड़ी भूमिका है. उन पर लगाम लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक कोशिशों को तेज करने के साथ ही सीमा की निगरानी को और मुस्तैद करना होगा. भारत-पाकिस्तान सीमा का बड़ा हिस्सा राजस्थान से लगा हुआ है, जो तस्करी के लिए कुख्यात है. कई विशेषज्ञों की राय है कि अगर तस्करी के साथ यहां से आतंकियों की घुसपैठ भी होने लगेगी, तो यह बहुत बड़ा सिरदर्द हो जायेगा. भारत-पाकिस्तान सीमा की 2,900 किमी की कुल लंबाई में 1,048 किमी सीमा राजस्थान से लगती है. साथ ही, हमें देश में किसी समुदाय के भीतर भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करने की कोशिशों को भी रोकना होगा, ताकि उस समुदाय के युवाओं को कोई आतंकी संगठन भावनात्मक तौर पर बरगलाने और बहकाने में सफल न हो सके.

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