संत थॉमस स्कूल के छात्र की आत्महत्या ने शिक्षकों की शिक्षण पद्धति को कटघरे में खड़ा कर दिया है. यह विषय गुरु और शिष्य के पाक रिश्ते को कलंकित कर गया. शिक्षण सिर्फ एक पेशा नहीं है. शिक्षण आत्मांतरण है. शिक्षक बनना आसान नहीं, अपने आपको उस सांचे में ढालना होता है.
उत्कृष्ट जैसे मेधावी छात्र के द्वारा आत्महत्या चीख-चीख कर कह रही है कि शिक्षण पद्धति ही इसके लिए पूरी तरह दोषी है. जिस शिक्षक या शिक्षिका का भय उस छात्र के मन में था, वही पूरी तरह से इस मामले का दोषी है. सारे विद्यालयों में सजा देने पर पूर्णतः प्रतिबंध है. सीबीएसइ ने भी इस संबंध में आदेश दिये हैं. विद्यालय में छात्रों को सजा शिक्षकों एवं प्राचार्य की अयोग्यता को प्रमाणित करता है. मामले की गंभीरता से जांच हो.
अनिल कुमार मिश्र