खेल का बाजारीकरण

भारत पाकिस्तान के बीच हुए मुकाबले को दर्शक खेल कम युद्ध का मैदान ज्यादा समझते हैं और शायद इसी का परिणाम हैं कि सोशल मीडिया पर जिन लोगों ने कुछ दिन पहले खिलाड़ियों को बाहुबली की संज्ञा दी, उन्हीं लोगों ने मैच के बाद उन्हें जमकर कोसा. आज खेल का महत्व लगभग खत्म सा हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2017 6:11 AM
भारत पाकिस्तान के बीच हुए मुकाबले को दर्शक खेल कम युद्ध का मैदान ज्यादा समझते हैं और शायद इसी का परिणाम हैं कि सोशल मीडिया पर जिन लोगों ने कुछ दिन पहले खिलाड़ियों को बाहुबली की संज्ञा दी, उन्हीं लोगों ने मैच के बाद उन्हें जमकर कोसा. आज खेल का महत्व लगभग खत्म सा हो गया है क्योंकि उसका रूप आज बाजारीकरण में परिवर्तित हो चुका है.
टीवी पर क्रिकेट का प्रसारण ऐसे किया जाता है, मानो हम जंग लड़ने जा रहे हैं. लोगों की मानसिकता कोबदलने का भरसक प्रयास मीडिया कर रही है. एक तरफ हमारी हॉकी टीम जीतती है, तो उसे पूछने वाला कोई नहीं और दूसरी और क्रिकेट का महिमामंडन किया जाता है. क्यों आज हॉकी लोगों की आंखों से ओझल होता जा रहा है?
रोहित कुमार पाठक, सीतामढ़ी

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