फसल बेचना किसानों की मजबूरी है

पैदावार घटने से तो किसान मरता ही है, उत्पादन बढ़ना भी उसके लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इस साल कई फसलों का उत्पादन तो केवल दस फीसदी बढ़ा लेकिन दाम 50 फीसदी गिर गये. अगर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधा भी नहीं मिलेगा, तो उसके पास क्या विकल्प रह जायेगा? जिस प्याज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2017 6:11 AM
पैदावार घटने से तो किसान मरता ही है, उत्पादन बढ़ना भी उसके लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इस साल कई फसलों का उत्पादन तो केवल दस फीसदी बढ़ा लेकिन दाम 50 फीसदी गिर गये.
अगर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधा भी नहीं मिलेगा, तो उसके पास क्या विकल्प रह जायेगा? जिस प्याज को पैदा करने में 800-1000 रुपये प्रति क्विंटल खर्च लगता है, उसे दो-तीन रुपये किलो के भाव में बेचना उनकी मजबूरी हो गयी. किसानों पर खर्चों का बोझ जितना बढ़ा है उसकी आमदनी में उतना इजाफा नहीं हुआ है. मोदी ने अपने चुनाव के दौरान किसानों को मुनाफा दिलाने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही वे भूल गये. सरकार को किसानों के हितों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि वे ही हमारे अन्नदाता हैं.
कांतिलाल मांडोत, सूरत

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