संस्थाओं का निजीकरण

सरकार हर संस्थाओं का निजीकरण करने पर तुली हुई है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि फिर सामाजिक सुरक्षा का क्या होगा? निजी संस्थानों को केवल अपने लाभ से मतलब होता है. इसका ताजा उदहारण देखने को मिला बिहार के बेगूसराय के वीरपुर गांव के एक निजी स्कूल में. यहां के प्रबंधन ने दो नन्ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2017 6:04 AM
सरकार हर संस्थाओं का निजीकरण करने पर तुली हुई है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि फिर सामाजिक सुरक्षा का क्या होगा? निजी संस्थानों को केवल अपने लाभ से मतलब होता है. इसका ताजा उदहारण देखने को मिला बिहार के बेगूसराय के वीरपुर गांव के एक निजी स्कूल में.
यहां के प्रबंधन ने दो नन्ही बच्चियों के कपड़े इसलिए उतरवा लिये क्योंकि स्कूल ड्रेस का पैसा उसके पिता ने जमा नहीं कराया था. कहने का तात्पर्य है कि निजीकरण भारत देश के लिए, कभी भी श्रेयस्कर नहीं है. निजी उद्यमी हर चीज को व्यापार का तराजू में तौलता है. अब एक-एक कर तमाम रेलवे स्टेशनों को बेचा जा रहा है, इससे यात्रियों को क्या और कितना फायदा होगा ये तो बाद की बात है.
जंग बहदुर सिंह, गोलपहाड़ी

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