कहीं ये अमेरिका-रूस की नूरा कुश्ती तो नहीं

सीरिया में कौन, कहां, किसलिए, और कैसे लड़ रहा है? बाहरी दुनिया के लिए एक मुश्किल भरा सवाल है. इसे समझने के वास्ते अलग-अलग उद्येश्यों, और निहित स्वार्थों को संक्षेप में जानना जरूरी है. सीरिया में असद की तानाशाह सरकार अस्तित्व बचाये रखने के लिए ‘आइसिस’ के साथ-साथ कई मोर्चों पर लड़ रही है. विद्रोही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2017 8:22 AM
सीरिया में कौन, कहां, किसलिए, और कैसे लड़ रहा है? बाहरी दुनिया के लिए एक मुश्किल भरा सवाल है. इसे समझने के वास्ते अलग-अलग उद्येश्यों, और निहित स्वार्थों को संक्षेप में जानना जरूरी है. सीरिया में असद की तानाशाह सरकार अस्तित्व बचाये रखने के लिए ‘आइसिस’ के साथ-साथ कई मोर्चों पर लड़ रही है. विद्रोही ’फ्री सीरियन आर्मी’ के लोग असद को अपदस्थ करने और लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना के लिए लड़ रहे हैं.
सीरिया में अमेरिका कुछ भी करे, और रूस मूक दर्शक बना रहेे, इस मिथक को तोड़ने की कवायद शुरू हो गयी है. ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है, जब रूस ने अमेरिका के विरुद्ध अपने तेवर तीखे किये हैं, वरना अब तक पुतिन द्वारा परोक्ष दोस्ती-यारी के किस्से नुमाया होते रहे थे. रविवार को अमेरिका द्वारा सीरियाई जेट विमान मार गिराये जाने से गुस्साये रूस ने कहा है कि हम सीरिया में हर उड़ने वाली चीज को मार गिरायेंगे. सीरिया में आइसिस के विरुद्ध आॅपरेशंस में युद्धक विमान आपस में टकरायें नही,ं इस वास्ते जो हाॅटलाइन बनायी गयी थी, उसे रूस ने बंद करने का फैसला लिया है. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोफ ने कहा कि हम वाशिंगटन को चेतावनी दे रहे हैं कि सीरिया में ऐसी ही कार्रवाई अमेरिकी विमानों के विरुद्ध कर सकते हैं. लेकिन क्या इस तरह के बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत है?
कब और कैसे हुआ हमला?
रविवार शाम की बात है, सात बजे का समय रहा होगा. सीरियाई शहर राका में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (एसडीएफ) व अमेरिकी मित्र सेना, उनके लड़ाके विमान सक्रिय थे. इससे अलग, राका से लगे शहर तबका के दक्षिणी हिस्से में आइसिस के ठिकानों सीरियाई सेना का एसयू-22 युद्धक विमान बम बरसा कर लौट रहा था. उस समय अमेरिकी फाइटर एफएई-18 सुपर हार्नेट, ‘एसयू-22’ पर अचानक हमलावर हुआ और उसे पलक झपकते मार गिराया.

तबका में अमेरिका समर्थक ‘एसडीएफ’ के सैनिकों के ठिकानों पर यह एसयू-22 युद्धक विमान इस कांड से पहले बम गिरा चुका था, जिसमें कुछ सैनिकों के घायल होने की बात कही गयी. उसकी प्रतिक्रिया में ऐसी कार्रवाई हुई थी, ऐसा अमेरिका समर्थक पक्ष का कहना है. मगर, सवाल यह है कि जब अमेरिका और रूसी फोर्स के बीच ‘हाॅटलाइन’ जैसी संचार व्यवस्था सक्रिय थी, तो कौन विमान कहां पर बम गिरा रहा है, उसकी जानकारी एक-दूसरे को क्यों नहीं दी जा रही थी? असद समर्थक सीरियाई सेना का कहना है कि यह जानबूझ कर किया गया हमला है. क्योंकि, हम आतंकी गुट दाइश के सफाये के करीब पहुंच रहे थे. अमेरिकी सेना दाइश (आइसिस) के पराजय का श्रेय किसी और को देना नहीं चाहती है.
रूस की भृकुटि क्यों तनी?
सीरियाई जेट गिराये जाने के बाद से अमेरिकी गठबंधन के तेवर कुछ ढीले से दिख रहे हैं. सोमवार को दिये बयान में अमेरिकी गठबंधन ने कहा कि उसका उद्देश्य सीरिया और इराक में दाइश को हराना है. हम रूस और सीरियाई समर्थक सहयोगियों से कतई युद्ध नहीं चाहते. मगर, हमारे सहयोगियों को खतरा हुआ, तो कार्रवाई से हिचकेंगे नहीं. रूस की भृकुटि तनने की वजह एसयू-22 युद्धक विमान भी है. 27 मार्च 1999 को कोसोवो युद्ध के दौरान रूसी रडार के दायरे में आये अमेरिकी एफ-117 को रूसी एस.ए.-3 मिसाइल के जरिये मार गिराया गया था. क्या यह संभव है कि 18 साल बाद, सीरिया की जमीन पर अमेरिका उस पुराने हिसाब को चुकता करे? मगर, इस इलाके में रक्षा मामलों के जो जानकार हैं, कोसोवो की घटना को इससे जोड़ रहे हैं.
एसयू-22 विमानों की क्षमता पर सवाल
सेकेंड जेनरेशन की एसयू-22 युद्धक विमानों की सबसे अधिक सप्लाइ मिडल-इस्ट के मुल्कों में रूस ने की है. जब ऐसे युद्धक विमान मार गिराये जाते हैं, तो उसकी क्षमता को लेकर भी सवाल उठते हैं. फाइटर जेट का निर्माण करनेवाली कंपनी और उस मुल्क का मान मर्दन होता है, इस फैक्टर से इंकार नहीं कर सकते. यों, सुखोई डिजाइन वाले एसयू-20, 22 और 24 युद्धक विमान हैं तो सेकेंड जनरेशन के, मगर मिडल इस्ट की लड़ाई में उनका इस्तेमाल जारी है. इस घटना से उसकी मार्केटिंग में बाधा आयेगी, यह चिंता का विषय हो सकता है. इसकी निर्माता कंपनी ‘कोम्सोमोल्स्क आॅन आमूर’ ने 15 देशों में 1165 अदद एसयू-20, और एसयू-22 युद्धक विमानों की सप्लाई का लक्ष्य रखा था. अब उस योजना पर पानी फिरने का डर है. एसयू-22 कोई पहली बार नहीं मार गिराया गया है. ईरान-इराक युद्ध में एसयू-22 मार गिराया जा चुका है. लीबियाई वायु सेना में शामिल एसयू-22 को 19 अगस्त 1981 को सिंद्रा की खाड़ी में अमेरिकी नौसेना ने मार गिराया था.
ईरान का कूद पड़ना
यह आठ जून की घटना थी जब दाइश आतंकियों ने ईरानी संसद और इमाम खुमैनी के मजार पर हमले किये थे. बदले की कार्रवाई में ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड कोप्र्स (आइआरजीसी) ने सोमवार को ही सीरिया के देरूज्जोर स्थित दाइश मुख्यालय पर मध्यम दूरी के छह बैलेस्टिक मिसाइल दागे. इसमें कितने हताहत हुए, उसका ब्योरा नहीं मिला है. पर ईरान का कहना है कि उसने 700 किलोमीटर की दूरी वाले जो बैलेस्टिक मिसाइल दागे हैं, उससे इजराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है. सवाल यह है कि ईरान ने 11 दिन बाद का यह समय क्यों चुना? और इस तरह के हमले के जरिये वह इजराइल का रक्तचाप क्यों नाप रहा है?
बाहरी दुनिया के लिए पहेली
सीरिया में कौन, कहां, किसलिए, और कैसे लड़ रहा है? बाहरी दुनिया के लिए एक मुश्किल भरा सवाल है. इसे समझने के वास्ते अलग-अलग उद्येश्यों, और निहित स्वार्थों को संक्षेप में जानना जरूरी है. सीरिया में असद की तानाशाह सरकार अस्तित्व बचाये रखने के लिए ‘आइसिस’ के साथ-साथ कई मोर्चों पर लड रही है. विद्रोही ’फ्री सीरियन आर्मी’ के लोग असद को अपदस्थ करने और लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना के लिए लड़ रहे हैं. अमेरिका, दाइश और असद दोनों को निपटाने के वास्ते जंग में है. रूस इसलिए लड़ रहा है, ताकि अमेरिका के विरुद्ध असद शासन को मदद मिले, और मिडिल इस्ट पर उसका कंट्रोल बना रहे. तुर्की, कुर्दों को निपटाने के वास्ते लड़ रहा है. कुर्द विद्रोही अलग कुर्दिस्तान के लिए गोलियां बरसा रहे हैं.

सऊदी अरब के लड़ने की वजह मध्य-पूर्व से शियाओं का असर समाप्त करना है. इसके बरक्स ईरान सुन्नियों की ताकत कम करने के साथ-साथ इजराइल पर हावी होना चाहता है. जॉर्डन, असद की सरकार को धूल में मिलाने के मकसद से लड़ाई में है. और सारी लड़ाई का एपीसेंटर बने आइसिस को शरिया आधारित खिलाफत स्टेट बनाना है. ऐसी बहुउद्देशीय लड़ाई कभी अंजाम तक पहुंचती है क्या?

पुष्परंजन
ईयू-एशिया न्यूज के नयी दिल्ली संपादक

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