राजनीति और जनता

पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया है. पश्चिम बंगाल में वही बात दोहरायी जा रही है, जो कई दशकों पहले असम में की गयी थी. उसके नतीजे के रूप में मेघालय और मणिपुर बने. अगर इसी तरह से विभिन्न राज्यों में पृथक राज्य बनाने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2017 6:35 AM

पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया है. पश्चिम बंगाल में वही बात दोहरायी जा रही है, जो कई दशकों पहले असम में की गयी थी. उसके नतीजे के रूप में मेघालय और मणिपुर बने. अगर इसी तरह से विभिन्न राज्यों में पृथक राज्य बनाने की मांग उठती रही, तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत छोटे -छोटे राज्यों में बंट जायेगा.

इतिहास गवाह है कि छोटे-छोटे राज्यों में बंटने के कारण ही हममें एकता नहीं रही थी और उसका भरपूर फायदा ईस्ट इंडिया कंपनी ने उठाया था. लगता है कि नेताओं ने अतीत से कुछ नहीं सीखा. अगर सीखा होता, तो भाषा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने की बजाय, गरीब जनता के फायदे के लिए कार्य किया जाता. आखिर इन सब में जनता ही तो पिस रही है.

सीमा साही ,बोकारो

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