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राज्यों का दोहरा चरित्र
पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय राजमार्गों पर से शराब की बिक्री को प्रतिबंधित किया था, तो एक बार लगा कि इससे राजमार्गों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. मगर किसे पता था कि कुछ राज्य लोगों के जीवन के बदले शराब से होने वाली आय पर ज्यादा ध्यान […]
पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय राजमार्गों पर से शराब की बिक्री को प्रतिबंधित किया था, तो एक बार लगा कि इससे राजमार्गों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयेगी.
मगर किसे पता था कि कुछ राज्य लोगों के जीवन के बदले शराब से होने वाली आय पर ज्यादा ध्यान देती है. वैसे इस फैसले के आने के साथ-साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्र, हिमाचल, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों ने राजमार्गों का दर्जा ही बदल कर स्थानीय कर दिया. पंजाब तो दस कदम आगे बढ़ते हुए, उत्पाद शुल्क एक्ट में ही संशोधन करके राजमार्गों के होटलों, ढाबों, क्लबों आदि में मदिरा सेवन करने की अनुमति प्रदान कर दी. इन सरकारों का दोहरा चरित्र खुल कर सामने आ गया है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी
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