शिक्षकों की नियुक्ति

शिक्षा राज्य के उत्थान के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करती है. राज्य के 90 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं है. प्राथमिक विद्यालयों में 100 बच्चों पर एक शिक्षक है. कई विषयों के तो शिक्षक ही नहीं हैं. नियुक्ति प्रक्रियामाननीय उच्च न्यायालय की फाइलों के जंगल में खो जाती है. मामला अदालत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2017 6:36 AM
शिक्षा राज्य के उत्थान के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करती है. राज्य के 90 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं है. प्राथमिक विद्यालयों में 100 बच्चों पर एक शिक्षक है. कई विषयों के तो शिक्षक ही नहीं हैं. नियुक्ति प्रक्रियामाननीय उच्च न्यायालय की फाइलों के जंगल में खो जाती है. मामला अदालत में जाते ही सबकी जवाबदेही खत्म हो जाती है.
न्यायालय में लंबित मामले की लंबाई इतनी अधिक होती है कि नौकरी की उम्र ही गुजर जाती है. यहां 10 वर्ष में भी नियुक्ति प्रकिया पूरी नहीं हो पाती. 2006 में परीक्षा, 2008 में जेपीएसी द्वारा अनुशंसा काउंसलिंग, प्रमाण-पत्रों की जांच, परंतु आज तक नियुक्ति प्रक्रिया अधूरी. सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों से राज्य का विकास कैसे होगा.
डा. दिवाकर दूबे, नेओरी विकास , रांची

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