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सामंती नेता

सभी नेता एक जैसे ही होते हैं. पार्टी का चिह्न भले ही अलग हो, मगर सब के व्यवहार में सामंतवाद झलकता है. एक बार संसद या विधान सभा के लिए चुन लिए जाने के बाद, तो ये लोग राजा के समक्ष बन जाते हैं. किसी को अपनी आलोचना बरदाश्त नहीं होती. मसलन कर्नाटक के दो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2017 6:42 AM

सभी नेता एक जैसे ही होते हैं. पार्टी का चिह्न भले ही अलग हो, मगर सब के व्यवहार में सामंतवाद झलकता है. एक बार संसद या विधान सभा के लिए चुन लिए जाने के बाद, तो ये लोग राजा के समक्ष बन जाते हैं.

किसी को अपनी आलोचना बरदाश्त नहीं होती. मसलन कर्नाटक के दो पत्रकारों रवि बेलगेरे एवं अनिल राजू के खिलाफ वहां की विधान सभा ने न सिर्फ विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया बल्कि अंगरेजों के जमाने का पुरातन कानून के हवाले से इन दोनों को एक साल की जेल एवं 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अगर दोनों पत्रकारों ने अपने आलेख में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया था, तो यह मानहानि का केस बन सकता था. इस मामले अदालत पर छोड़ देते, वो न्याय करती.

जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

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