दलित हितैषी कौन?
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है. जातिवाद के विरोधी पंडित भाषण भले ही लंबे-चौड़े दे देते हैं, पर किसी भी चुनाव की घोषणा होते ही भाषण बंद कर चुनाव जीतने हेतु कई झूठे-सच्चे मुद्दे उठाने शुरू कर देते हैं. देश के सर्वोच्च पद का चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहा. बिहार के राज्यपाल […]
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है. जातिवाद के विरोधी पंडित भाषण भले ही लंबे-चौड़े दे देते हैं, पर किसी भी चुनाव की घोषणा होते ही भाषण बंद कर चुनाव जीतने हेतु कई झूठे-सच्चे मुद्दे उठाने शुरू कर देते हैं. देश के सर्वोच्च पद का चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहा.
बिहार के राज्यपाल को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार पेश करना चंद राजनेताओं को अच्छा नहीं लगा. इन्हें ‘दलित’ कहकर उम्मीदवार बनाया गया. यह किसी भी रूप में शोभनीय नहीं. मौजूदा हालात में अब दलित को राष्ट्रपति बनना तय है और सत्ता एवं विपक्ष दोनों में दलित हितैषी चेहरा राष्ट्रपति उम्मीदवार देकर दलित-वर्ग के समक्ष पेश किया है. देखना है कौन दलित हितैषी और कौन दलित विरोधी?
धीरेन्द्र कुमार मिश्र ‘इच्छुक’, गिरिडीह