झाड़ू की जगह वैक्यूम क्लीनर!

केजरीवाल झोपड़ों में झाड़ू लगानेवालों की जगह बंगलों में वैक्यूम क्लीनर से घर साफ करनेवाले ‘खास आदमी’ को टिकट देकर ‘आम आदमी’ का सफाया करने के नशे में हैं. फिल्म ‘कागज के फूल’ का गाना है – बिछड़े सभी बारी-बारी, देखी जमाने तेरी यारी! केजरीवाल के मन में भी कुछ यही चल रहा होगा, जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2014 3:36 AM

केजरीवाल झोपड़ों में झाड़ू लगानेवालों की जगह बंगलों में वैक्यूम क्लीनर से घर साफ करनेवाले ‘खास आदमी’ को टिकट देकर ‘आम आदमी’ का सफाया करने के नशे में हैं. फिल्म ‘कागज के फूल’ का गाना है – बिछड़े सभी बारी-बारी, देखी जमाने तेरी यारी! केजरीवाल के मन में भी कुछ यही चल रहा होगा, जो ‘आम आदमी’ के नाम से खास आदमी से बाग में मुंगेरीलाल के सपने देख रहे हैं, आम आदमी के चोले में खास आदमी के छोले खाने का सपना. सत्ता की पुरानी बोतल में ‘आप’ नयी शराब है.

देश की 70} जनता जो 20 रुपये भी नहीं कमाती है, वह तो आज भी गुठली वाला आदमी है, जो भूख मारने के लिए शराब पीता है. आप के लिए वादे, वोट बैंक के प्याले हैं. अलगाववाद की बोली इनके लिए सत्ता की हमजोली है. यह मोदी के चुनाव पर सट्टा और कांग्रेस की साख पर बट्टा है.

सतीश सिंह, रांची

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