प्रेरणा है रूपा की सफलता
रूपा का नीट में चयन हो गया है. जब वह आठ साल की थी तो उसकी शादी हो गयी थी. ससुराल में काम करते हुए भी उसने पढ़ाई जारी रखा. उसका सपना था डॉक्टर बनना जिसे ससुराल वालों ने समझा और तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए भी उसका साथ दिया. रूपा ने भी अपने […]
रूपा का नीट में चयन हो गया है. जब वह आठ साल की थी तो उसकी शादी हो गयी थी. ससुराल में काम करते हुए भी उसने पढ़ाई जारी रखा. उसका सपना था डॉक्टर बनना जिसे ससुराल वालों ने समझा और तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए भी उसका साथ दिया. रूपा ने भी अपने सपने के आगे किसी राह के रोड़े को ठहरने न दिया. उसकी लगन और मेहनत आज पूरे देश की लड़कियों के लिए प्रेरणा से कम नहीं है.
आज भी गांव कस्बों में महिलाओं को घूंघट में ही रखते हैं. ऐसे में समाज के नजरिये से हट कर उन्होंने जो प्रयास किया वो नि:संदेह काबिले तारीफ है. उम्मीद है कि लोग समय के साथ अपनी मानसिकता में बदलाव करेंगे और देश में और भी ऐसी लड़कियों को आगे आने का अवसर मिलेगा.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, इमेल से