राजनीति का ओएलएक्स युग

।। पुष्यमित्र।। (प्रभात खबर, पटना) मफलर पार्टी वाले नेताजी नये जरूर हैं, मगर नारा पुराना ही लगाते हैं. कह रहे हैं कि भाजपा में आडवाणी युग खत्म हुआ और अडानी युग आ गया है. काहे का अडानी युग.. गौर से देखिए वहां ओएलएक्स युग चल रहा है. अब इ मत पूछिए कि ओएलएक्स क्या होता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2014 4:29 AM

।। पुष्यमित्र।।

(प्रभात खबर, पटना)

मफलर पार्टी वाले नेताजी नये जरूर हैं, मगर नारा पुराना ही लगाते हैं. कह रहे हैं कि भाजपा में आडवाणी युग खत्म हुआ और अडानी युग आ गया है. काहे का अडानी युग.. गौर से देखिए वहां ओएलएक्स युग चल रहा है. अब इ मत पूछिए कि ओएलएक्स क्या होता है. आपकी ‘आप’ पार्टी तो हाइटेक है और व्हाट्स एप वाले तमाम लड़के मुफ्त में वालंटियरी कर रहे हैं. नहीं पता हो तो उनसे पूछियेगा और टाइम हो तो टीवी पर प्राइम टाइम देखियेगा, सब पता चल जायेगा. फिर भी न समङों तो सुन लीजिए, ओएलएक्स का एक ही नारा है- पुराना रखना, पुरातनपंथी है, पुराने को बेच दे.. तो भाजपा में आजकल वही ओएलएक्स युग वाली राजनीति हो रही है. पुराना, बेकार माल फोटो अपलोड कर बेच दे रहे हैं और उसी साइट से कम पैसे में दूसरा सेकेंड हैंड माल खरीद ले रहे हैं. राजनीति में यही खासियत है भाई. यहां सेकेंड हैंड माल ज्यादा टिकाऊ और फायदेमंद होता है. फस्र्ट हैंड का कोई भरोसा नहीं चलेगा या नहीं चलेगा. मफलर पार्टी वाले ने भी बहुत जल्द इस शाश्वत सत्य को समझ लिया और अपने तमाम फस्र्ट हैंड वालंटियरों को होल्ड पर डाल कर फटा-फट कुछ सेकेंड हैंड माल इधर-उधर से खरीदा और चुनाव में चला दिया.

मगर, मफलर पार्टी अभी राष्ट्रीय नहीं हुई है. राष्ट्रीय पार्टी में ओएलएक्स युग ठीक से आ गया है. सुना है अध्यक्ष महोदय ज्यादा से ज्यादा टाइम ओएलएक्स पर ही बिताते हैं कि किस पार्टी का कौन सा पुराना माल खरीदा जा सकता है. पार्टी ने अध्यक्ष महोदय को इसके लिए एक हाइटेक स्मार्ट फोन भी दिया है और वह उसे चलाना भी सीख गये हैं. तभी दनादन सस्ते और टिकाऊ कैंडिडेट खरीद रहे हैं और बेकार कैंडिडेट को ओएलएक्स पर डाल बेच रहे हैं. उनके इस कारनामे का असर कुछ ऐसा हुआ है कि अपनी ही पार्टी का इंटीरियर पहचान में नहीं आ रहा है. रोज पंद्रह नेता खरीद रहे हैं और बीस को बेच रहे हैं. जो लोग कल तक भाजपा को सांप्रदायिक कह रहे थे वो अचानक नमो में उम्मीद देखने लगे हैं और जिन्होंने पार्टी की गाड़ी को ठेल-ठाल कर संसद के मेन हॉल में पहुंचाया था वे व्यक्तिवाद के खिलाफ प्रवचन करने की मुद्रा में हैं.

अध्यक्ष जी और उनकी पार्टी के लोग मानते हैं कि ओएलएक्स युग को अब नकारना पुरातनपंथी है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे नकारा हैं. उनका कोई खरीदार नहीं. वह पार्टी भी नहीं जो 200 से घट कर 100 पर सिमटने वाली है. अब जिनके निर्दलीय उतरने की नौबत आ जाये वे पार्टी पर बोझ ही तो थे. दम होता तो कहीं न कहीं बिक गये होते. और अगर बिक जाते तो अगले चुनाव में हम ही वापस खरीद लेते. अध्यक्ष जी, हम आपके सिद्धांत के साथ हैं. हम तो बस यही इंतजार कर रहे हैं कि पार्टी कब आपको ओएलएक्स पर डालती है.

Next Article

Exit mobile version